चंद्रयान-2: चेन्नई के इंजीनियर का दावा- सुरक्षित हो सकता है रोवर, कुछ दूरी भी तय की
चेन्नई के रहने वाले एक इंजीनियर ने दावा किया है कि चंद्रयान-2 में भेजा गया रोवर सही-सलामत चांद की सतह पर मौजूद है और कुछ दूरी तक चला भी है। चंद्रयान-2 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का भेजा गया दूसरा चंद्रमा मिशन था। शानमुगा सुब्रमण्यन नामक इस इंजीनियर ने ट्विटर पर कई फोटो पोस्ट कर दावा किया है कि रोवर (प्रज्ञान) चंद्रयान से जुड़ा हुआ है और वह विक्रम लैंडर से कुछ मीटर दूर तक चला है।
लैंडिंग से तुरंत पहले टूटा था विक्रम से संपर्क
भारत ने पिछले साल चांद की सतह पर उतरने की कोशिश की थी। ISRO ने चंद्रयान-2 के तहत लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) को चांद की सतह पर भेजा था। वहां लैंड होने से कुछ सेकंड पहले इसका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया और यह क्रैश लैंडिंग में टूटकर बिखर गया। इसके बाद ISRO ने इससे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। प्रज्ञान रोवर का काम चांद की सतर पर घूमकर प्रयोग करना था।
NASA की तस्वीरों के जरिये किया गया दावा
सुब्रमण्यन ने दावा किया कि विक्रम क्रैश लैंडिंग के कारण टूटकर बिखर गया था, लेकिन रोवर इससे निकलकर कुछ मीटर दूर तक चला है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सुब्रमण्यन ने विक्रम लैंडर के मलबे का पता लगाने में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की मदद की थी। इस बार उन्होंने अपने दावा को सही ठहराने के लिए NASA द्वारा जारी की गई तस्वीरों का सहारा लिया है। इसे लेकर उन्होंने ट्विटर पर विस्तार से जानकारी दी है।
सुब्रमण्यन ने तस्वीरों के जरिये किया यह दावा
सुब्रमण्यन ने ट्वीट की गई फोटो के बारे में जानकारी देते हुए लिखा कि उन्हें जो कचरा मिला था वो विक्रम लैंडर की लंगुमिर प्रोब का था। वहीं NASA को जो कचरा मिला वह एंटीना, रेट्रो ब्रेकिंग इंजन, सोलर पैनल आदि दूसरे पेलोड का हो सकता है। तीसरी तस्वीर के बारे में उन्होंने लिखा कि रोवर लैंडर से बाहर निकला है और वह कुछ दूर तक चला भी है। अभी तक उनके दावे पर ISRO की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अंधेरे के कारण रोवर का पता लगाना मुश्किल- सुब्रमण्यन
सुब्रमण्यन का कहना है कि रोवर का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद है, जहां ज्यादातर समय अंधेरा रहता है। यही कारण रहा कि NASA 11 नवंबर को उसके सैटेलाइट के फ्लाईबाई के दौरान इसका पता नहीं लगा पाया।
हो सकता है विक्रम को मिली हो कमांड- सुब्रमण्यन
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा, 'अपडेट: ऐसा लग रहा है कि लैंडर को लगातार कई दिनों तक कमांड भेजी गई। ऐसी भी संभावना है कि वो लैंडर वो कमांड मिल गई और उसने इन्हें रोवर तक पहुंचा दिया, लेकिन लैंडर इस वापस धरती पर भेजने में नाकामयाब रहा।' क्रैश लैंडिंग के बाद ISRO ने कई दिनों तक लैंडर और रोवर से संपर्क जोड़ने की कोशिश की थी। इसमें NASA की भी मदद ली गई, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
सुब्रमण्यन ने ढूंढा था विक्रम का कचरा
दरअसल, NASA ने विक्रम की क्रैश लैंडिंग के बाद कुछ तस्वीरें जारी की थी। इनमें से कुछ विक्रम के क्रैश होने से पहले और कुछ बाद की थी। NASA ने लोगों से इनकी तुलना कर विक्रम का पता लगाने को कहा था। तस्वीरें सामने आने के बाद सुब्रमण्यन पहले ऐसे शख्स थे, जिन्होंने विक्रम लैंडर का सही पता लगाया। लैंडर का पता लगाने के लिए उन्होंने केवल लैपटॉप और इंटरनेट का इस्तेमाल किया था।