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तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर भारत ने 14 सालों तक कैसे लड़ी कानूनी जंग? 
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर भारत ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर भारत ने 14 सालों तक कैसे लड़ी कानूनी जंग? 

लेखन आबिद खान
Apr 10, 2025
03:33 pm

क्या है खबर?

26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा पर आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। भारतीय एजेंसियां 14 सालों से राणा के प्रत्यर्पण को लेकर कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई लड़ रही थी, जिसमें अब सफलता मिली है। इसमें सबसे अहम भूमिका राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की रही। आइए जानते हैं राणा के प्रत्यर्पण को लेकर कब-क्या हुआ।

पुलिस

मुंबई पुलिस के आरोप पत्र में नहीं था राणा का नाम

मुंबई आतंकी हमलों के संबंध में 2009 में मुंबई पुलिस ने पहला आरोप पत्र दायर किया था। इसमें राणा का नाम नहीं था। दिसंबर, 2011 में NIA ने पहली बार अपने आरोप पत्र में राणा का जिक्र किया था। इसमें NIA ने बताया था कि कैसे राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के जासूस डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली ने हमलों को अंजाम देने के लिए मुंबई में कई जगहों की रेकी की थी।

गिरफ्तारी

2009 में गिरफ्तार हुआ था राणा

राणा को लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने और पैगंबर का विवादित कार्टून छापने वाले डेनमार्क के एक समाचार पत्र के कार्यालय पर हमला करने की साजिश रचने के आरोप में अक्टूबर, 2009 में शिकागो में गिरफ्तार किया गया था। राणा के साथ हेडली भी था। ये दोनों अमेरिका से पाकिस्तान भागने की कोशिश में थे। 2011 में राणा को इन दोनों मामलों में दोषी पाया गया। हालांकि, मुंबई हमलों से जुड़े आरोपों में उसे सजा नहीं हुई।

2014

2014 में दिल्ली की अदालत ने जारी किया वारंट 

जनवरी, 2013 में राणा को अमेरिका की एक कोर्ट ने 14 साल की सजा सुनाई। अगले साल दिल्ली की एक सेशन कोर्ट ने राणा समेत 9 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए। इन 9 आरोपियों में हेडली, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी, अल-कायदा के इलियास कश्मीरी और पाकिस्तानी सेना के अधिकारी भी शामिल थे। 2019 में भारत ने आधिकारिक तौर पर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका को राजनयिक नोट सौंपा।

कानूनी लड़ाई 

प्रत्यर्पण को लेकर कई बार कोर्ट गया राणा

मई, 2020 में राणा कोरोनावायरस से संक्रमित हो गया। इसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया। हालांकि, अगले ही महीने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर कैलिफोर्निया की एक अदालत ने एक अनंतिम गिरफ्तारी वारंट जारी किया। राणा को फिर गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद 2023 और 2024 में राणा ने अलग-अलग कोर्ट ने प्रत्यर्पण को चुनौती दी। हालांकि, हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी।

2025

जनवरी, 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई प्रत्यर्पण पर मुहर

जनवरी, 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। इसके बाद राणा ने समीक्षा याचिका दायर कर कहा कि भारत में उसे पाकिस्तानी मुस्लिम होने की वजह से प्रताड़ित किया जाएगा। उसने बीमारियों का भी हवाला दिया। राणा ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स को आवेदन देकर प्रत्यर्पण रोकने की मांग की। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट्स ने राणा की मांग को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद राणा के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए।