आपके अगले स्मार्टफोन में हो सकती है ISRO की यह टेक्नोलॉजी
अमेरिकी कंपनी क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज ने नए चिपसेट जारी किए हैं। ये चिपसेट भारत के नेविगेशन सिस्टम 'नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (नाविक)' से सिग्नल लेने में सक्षम हैं। नाविक भारत का नेविगेशन सिस्टम है जो कई जगहों पर अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की जगह लेगा। क्वालकॉम के तीन नए चिपसेट स्नैपड्रेगन 720G, 662, और 460 नाविक को सपोर्ट करेंगे। शाओमी और रियलमी ने घोषणा की है कि वो जल्द ही नए 720G चिपसेट वाले स्मार्टफोन लॉन्च करेगी।
नाविक क्या है?
नाविक (NavIC) सात सैटेलाइट वाला एक रीजनल नेविगेशन सिस्टम है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने विकसित किया है। यह भारत और इसके आसपास 1,500 किलोमीटर के दायरे में स्थित देशों में पोजिशनिंग सर्विस मुहैया कराएगा। आसान भाषा में इसका मतलब यह है कि अब गूगल मैप्स, ओला, उबर जैसी ऐप्स अमेरिकी GPS के साथ-साथ भारत के नाविक से भी सिग्नल ले सकेंगी। अगर भारत की बात की जाए तो यहां नाविक GPS से ज्यादा सटीकता के साथ काम करेगा।
स्मार्टफोन में नाविक का इस्तेमाल बढ़ेगा- ISRO
ISRO ने इस मौके पर बयान जारी करते हुए कहा इन चिपसेट के बाजार में आने के बाद स्मार्टफोन में नाविक का इस्तेमाल बढ़ेगा। कंपनियां ऐसे स्मार्टफोन लॉन्च करेंगी, जिनमें नाविक इनेबल्ड चिप लगी होंगी।
क्या बोले ISRO प्रमुख के सिवन?
ISRO प्रमुख के सिवन ने कहा था कि स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल देश के विकास के लिए करने में नाविक एक अहम कदम है। इसे लोगों की दिनचर्या में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्वालकॉम द्वारा अपने मोबाइल प्लेटफॉर्म में नाविक को सपोर्ट करना हर भारतीय तक इस स्वदेशी सिस्टम का फायदा पहुंचाएगा। बता दें कि ISRO ने नेविगेशन सिस्टम के लिए कुल नौ सैटेलाइट लॉन्च किए हुए हैं।
चिपसेट को लेकर क्या कह रहे हैं जानकार?
ISRO के एक वैज्ञानिक ने बताया कि आजकल अधिकतर स्मार्टफोन में ऐसे चिपसेट आते हैं, जो GPS के साथ रूस के GLOSNASS और चीन के BeiDou से सिग्नल पकड़ते हैं। ये स्मार्टफोन ऑटोमैटिक उस सिस्टम के सिग्नल पकड़ लेते हैं, जो उस इलाके में बेहतर कवरेज देते हैं। वहीं एक अधिकारी ने बताया कि एक बार नाविक बेस्ड स्मार्टफोन बाजार में आने के बाद इस सिस्टम पर बेस्ड नई ऐप्स बनाई जा सकती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था नाम
नाविक को दो तरह की सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है। पहली स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस है, जो सभी यूजर्स को दी जाएगी। दूसरी रेस्ट्रिक्टेड सर्विस है, यह पूरी तरह एनक्रिप्टेड है और केवल अधिकृत यूजर्स को दी जाएगी। बताया जा रहा है कि नाविक की एक्यूरेसी लगभग 5 मीटर के दायरे की होगी। इस सिस्टम को नाविक नाम प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था। अप्रैल, 2016 में सातवें नेविगेशन सैटेलाइट की लॉन्चिंग के समय उन्होंने यह नाम दिया था।
दूसरे सिस्टम से सस्ती है नाविक की सर्विस
अमेरिका के GPS की तरह रूस के पास GLONASS, यूरोपीय यूनियन के पास गेलिलियो और चीन के पास BeiDou नेविगेशन सिस्टम है। अब भारत भी नाविक के साथ इस सूची में शामिल हो गया है। बाकी देशों के मुकाबले कम सैटेलाइट होने के कारण भारत का नेविगेशन सिस्टम काफी सस्ता है। GPS में 33 सैटेलाइट, GLOSNASS में 26 और BeiDou में 35 सैटेलाइट सिस्टम है। इन सबके मुकाबले नाविक में महज सात सैटेलाइट हैं।