कोरोना महामारी के कारण किस तरह से प्रभावित हुई घरेलू आय?
कोरोना वायरस महामारी ने उद्योग-धंधों को प्रभावित करने के साथ-साथ करोड़ों लोगों के रोजगारों और नौकरियों को भी छीन लिया है। इसका सीधा असर घरेलू आय पर पड़ा है। महामारी के पहली लहर से लगे झटके से लोग उभर भी नहीं पाए थे कि इस साल आई दूसरी लहर ने उन्हें करारा झटका दे दिया। ऐसे में घरेलू आय में बुरी तरह से प्रभावित हो गई। यहां जानते हैं कि महामारी ने घरेलू आय को किस तरह प्रभावित किया है।
महामारी की पहली लहर में घरेलू आय में आई थी 44 प्रतिशत की गिरावट
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दो लाख घरों पर किए उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (CPHS) के आंकड़ों के पता चलता है कि कोरोना महामारी की पहली लहर (फरवरी 2020 से अप्रैल 2020) के बीच औसत अखिल भारतीय मासिक प्रति व्यक्ति घरेलू आय में 44 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि, जून में लॉकडाउन में काफी ढील होने के बाद आय में फिर से इजाफा शुरू हो गया था और जनवरी 2021 तक पहले की आय से तीन प्रतिशत कम रही थी।
महामारी की दूसरी लहर ने दिया बड़ा झटका
जून 2020 से फरवरी 2021 के नौ महीनों में औसत घरेलू आय में काफी सुधार आ गया, लेकिन फरवरी 2021 से दूसरी लहर का असर शुरू होते ही घरेलू आय के पटरी पर लौटने से पहले ही उसमें फिर से गिरावट शुरू हो गई। इसके बाद मई तक आय में 19 प्रतिशत की गिरावट आ गई। वर्तमान में यह आय महामारी से पहले की स्थिति से 22 प्रतिशत कम है। दूसरी लहर का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रहा है।
गरीबों की आय में आई तेजी से गिरावट
महामारी की दूसरी लहर में अमीर परिवारों की तुलना में गरीब परिवारों की आय में तेज गिरावट दर्ज की गई। महामारी की पहली लहर के दौरान, अमीर परिवारों की औसत मासिक आय में 33 प्रतिशत की गिरावट के साथ सबसे कम नुकसान हुआ था। इसी तरह गरीब परिवारों की आय में 46 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इसने अमीर और गरीब के बीच अंतर को काफी हद तक बढ़ा दिया था। इससे गरीब परिवार बेहद परेशान रहे थे।
गरीब परिवारों की आय में हुआ तेजी से सुधार
महामारी की दूसरी लहर से पहले गरीब परिवारों की आय में तेजी से सुधार हुआ था। इसी तरह अमीर परिवारों की आय में धीमी गति से सुधार देखा गया। पहली लहर के बाद गरीबों की आय में तीन गुना तेजी से सुधार हुआ था। जनवरी तक 50 प्रतिशत गरीब परिवारों की आय महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई थी। इसी तरह शेष 50 प्रतिशत की आय में पहले की तुलना में पांच-छह प्रतिशत की ही कमी रही थी।
दैनिक वेतनभोगियों की रोजगार में हुई तेजी से वापसी
महामारी के पहली लहर के बाद जहां दैनिक वेतनभोगी श्रमिक और स्वरोजगार करने वालों के काम में तेजी से वसूली हुई, वहीं स्थाई वेनतभोगी कर्मचारियों के लिए यह धीमी रही। साल 2019 में स्थाई वेतनभोगी नौकरी करने वालों में से 38 प्रतिशत ही फरवरी 2020 में नौकरी में वापस आ पाए थे। इसी तरह अगस्त 2021 तक यह आंकड़ा 48 प्रतिशत पर पहुंच पाया है। इसके उलट दैनिक वेतनभोगी और स्वरोजगार करने वाले 80 प्रतिशत लोग काम पर लौट आए।
वसूली के असमान स्तर से आया घरेलू आय में अंतर
महामारी के बाद नौकरी और स्वरोजगार की असमान वसूली के कारण ही घरेलू आय में अंतर देखने को मिला है। गरीब परिवारों का रोजगार मिलने से उनकी आय में सुधार हुआ, लेकिन स्थाई नौकरी की कमी के कारण एक हिस्से की आय नहीं बढ़ी।
तेज वसूली के बाद भी गरीबों में नजर आएंगे दीर्घकालीन परिणाम
सर्वेक्षण में दिख रहा है कि गरीब रोजगार और आय दोनों मामले में तेजी से उबर रहे हैं, लेकिन इसे पहली लहर के असमान प्रभाव से भी जोड़ा जाना चाहिए। पहली लहर में गरीब आबादी ने अपनी पूरी आय खो दी थी और उन्हें उधार लेकर परिवार चलाना पड़ा था। ऐसे में उन्हें उस कर्ज का अब तक भुगतान करना पड़ रहा है। ऐसे में उन परिवारों पर इस कर्ज का दीर्घकालीन परिणाम देखने को मिलेगा।