#NewsBytesExplainer: भारत में आवारा कुत्तों की समस्या कितनी गंभीर है और इसका क्या समाधान?
वाघ बकरी चाय ग्रुप के कार्यकारी निदेशक और मालिक पराग देसाई की मौत के बाद से देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या पर एक बहस छिड़ गई है। देसाई पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया था, जिससे बचने के चक्कर वो गिर गए और उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। एक हफ्ते बाद ब्रेन हेमरेज से उनकी मौत हो गई। आइए जानते हैं आवारा कुत्तों की समस्या कितनी बड़ी है और इसका क्या समाधान हो सकता है।
देश में कितने आवारा कुत्ते और ये कितनी बड़ी समस्या?
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में 6 करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते हैं और 2019-2022 के बीच देश में कुत्तों के काटने के 1.6 करोड़ मामले दर्ज किये गए। 2022 में अकेले दिल्ली में कुत्तों के काटने के 5,559 मामले सामने आए थे। इसी तरह 2022 में जनवरी से अक्टूबर के बीच केरल और पंजाब में कुत्तों के काटने के 10,000-10,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और कश्मीर में 1,000-10,000 मामले दर्ज किए गए।
कुत्तों के काटने के कारण कितने भारतीयों की मौतें होती हैं?
कुत्तों के काटने के कारण रेबीज नामक बीमारी होती है। बड़ी संख्या में मामलों के आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज न होने के कारण ये तो नहीं पता कि रेबीज का प्रकोप कितना बड़ा है, लेकिन भारत में हर साल 18,000-20,000 लोगों के रेबीज से मारे जाने का अनुमान लगाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रेबीज के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से 36 प्रतिशत भारत में होती हैं।
इंसानों पर हमला क्यों करते हैं कुत्ते?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में आवारा कुत्तों के आक्रामक होने के पीछे उन्हें भूखा-प्यासा छोड़ देना है और बहुत कम लोग उनकी देखभाल करते हैं। उनके अनुसार, भूख की पीड़ा को सहन नहीं कर पाने पर ये कुत्ते इंसानों पर हमला कर देते हैं।
आवारा कुत्तों पर कानून क्या कहता है?
2001 से पहले नगर निगम अधिकारी सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित रखने के लिए आवारा कुत्तों को इच्छामृत्यु दे सकते थे, लेकिन 2001 में केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम लागू कर दिए। इनके तहत आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए उनकी नसबंदी से लेकर उनके मुंह बांधने और रेबीज के खिलाफ वैक्सीनेशन जैसे सुझाव दिए गए थे। इन्हें लागू करने का जिम्मा स्थानीय प्राधिकरणों पर छोड़ा गया था, जिन्होंने ये जिम्मेदारी नहीं निभाई।
क्या है समाधान?
आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान जटिल है। कुत्तों को मारने के विकल्प पर तो विचार ही नहीं किया जा सकता क्योंकि ये एक समाज के तौर पर बेहद क्रूर होगा। उनकी आबादी को नियंत्रित करने के लिए नसंबदी का विकल्प है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके लिए 70 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी करनी पड़ेगी। ये एक बेहद कठिन लक्ष्य है। कुत्तों के लिए आश्रय गृह भी बनाए जा सकते हैं, जिसके लिए सरकार को बड़ा निवेश करना पड़ेगा।
अन्य देशों से क्या सीख ले सकता है भारत?
नीदरलैंड ने CNVR प्रोग्राम (कलेक्ट, न्यूटर, वैक्सीनेट और रिटर्न) के माध्यम से आवारा कुत्तों की समस्या को खत्म कर दिया है। इसके अलावा यहां कई स्थानीय निकायों ने विदेशी ब्रीड रखने पर भारी टैक्स की व्यवस्था की है, जिससे लोगों का झुकाव देसी कुत्तों की तरफ बढ़ा है और आवारा कुत्तों की आबादी घटी है। अमेरिका में आवारा कुत्तों को पशु आश्रयों में रखा जाता है, जिससे उनकी संख्या कम हुई है। हालांकि, इस पर बहुत खर्च आता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
CNVR एक राष्ट्रव्यापी नसबंदी कार्यक्रम है, जिसका दशकों से दुनियाभर में स्थानीय सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें पहले कुत्तों को पकड़ा जाता है, फिर उनकी नसबंदी की जाती है और उन पर चिन्ह लगा दिए जाते हैं। इसके बाद उन्हें विभिन्न वायरसों के खिलाफ काम करने वाली वैक्सीनें लगाई जाती हैं और फिर छोड़ दिया जाता है। भारत इस तरीके को भी आजमा सकता है।