
क्या है उत्तर प्रदेश में अस्पताल की लापरवाही से बच्चों के HIV संक्रमित होने का मामला?
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरकारी अस्पताल की लापरवाही के चलते 14 बच्चों की जिंदगी दांव पर लग गई है।
अस्पताल में थैलेसीमिया से ग्रसित 14 बच्चे गलत खून चढ़ाने के वजह से ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) और हेपेटाइटिस जैसी घातक संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। आरोप है कि बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाया गया।
कांग्रेस ने केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर सवाल खड़े किए हैं।
आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।
मामला
क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये घटना कानपुर में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित लाला लाजपत राय (LLR) अस्पताल की है।
वर्तमान में अस्पताल में थैलेसीमिया से ग्रसित 180 रोगियों को खून चढ़ाया जाता है और वायरल बीमारी के लिए हर 6 महीने में इन रोगियों की जांच होती है।
24 अक्टूबर को ऐसी ही एक जांच के दौरान थैलेसीमिया से ग्रसित 14 बच्चों की खून की जांच में HIV और हेपेटाइटिस B और C जैसे संक्रमण की पुष्टि हुई है।
उम्र
क्या है संक्रमित हुए बच्चों की उम्र?
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सभी संक्रमित 14 बच्चों की उम्र 6 साल से 16 साल के बीच है। इनमें से 7 बच्चों के हेपेटाइटिस B, 5 बच्चों के हेपेटाइटिस C और 2 बच्चों के HIV से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सभी नाबालिग बच्चे कानपुर के शहर और देहात क्षेत्र, फर्रूखाबाद, औरेया, इटावा और कन्नौज आदि जिलों के रहने वाले हैं।
मामला उजागर होने के बाद से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप है।
प्रशासन
मामले में अस्पताल प्रशासन ने क्या कहा?
LLR अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ अरुण आर्य ने कहा, "बच्चों में HIV जैसा गंभीर संक्रमण मिलना विशेष रूप से चिंता का विषय है। हमने हेपेटाइटिस के संक्रमित बच्चों को गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग और HIV से संक्रमित बच्चों को कानपुर सेंटर में रेफर किया है।"
उन्होंने कहा, "तत्काल आवश्यकता पर बच्चों को निजी और जिला अस्पताल में स्थानीय स्तर पर भी खून चढ़ाया गया था। डॉक्टरों की एक टीम बच्चों के संक्रमित होने के मामले की जांच करेगी।"
बयान
डॉक्टर ने क्या बताया बच्चों के संक्रमिक होने का कारण?
डॉ आर्य ने कहा, "किसी के रक्तदान करने के बाद खून की जांच की जाती है कि यह सुरक्षित है या नहीं। हालांकि, संक्रमित होने के बाद एक समयावधि होती है, जिसमें टेस्ट में वायरस का पता नहीं चलता है। इसे 'विंडो पीरियड' कहते हैं।"
उन्होंने कहा, "शायद इसी विंडो पीरियड के दौरान बच्चों को खून चढ़ाया गया। ये बच्चे पहले से ही एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं और अब उनके संक्रमित होने से खतरा और बढ़ गया।"
कांग्रेस
कांग्रेस ने मामले में क्या कहा?
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पताल में इस लापरवाही को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, 'डबल इंजन सरकार ने हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को डबल बीमार कर दिया है। कानपुर में एक सरकारी अस्पताल में थैलीसीमिया के 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे इन बच्चों को HIV और हेपेटाइटिस जैसी चिंताजनक बीमारियां हो गई हैं। ये लापरवाही शर्मनाक है।'
जानकारी
खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी से किया सवाल
उन्होंने लिखा, 'मासूम बच्चों को भाजपा सरकार के इस अक्षम्य अपराध की सजा भुगतनी पड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल हमें 10 संकल्प लेने की बड़ी-बड़ी बातें सिखा रहे थे। क्या उन्होंने कभी अपनी भाजपा सरकारों की रत्तीभर भी जवाबदेही तय की है?'
ट्विटर पोस्ट
अखिलेश ने भी उठाए भाजपा सरकार पर सवाल
उप्र में संक्रमित ख़ून चढ़ाने से 14 बच्चों को HIV और हेपेटाइटिस का संक्रमण होना बेहद गंभीर बात है। इस लापरवाही की तत्काल जाँच हो और इस तरह की घातक गलती की सख़्त से सख़्त सज़ा दी जाए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 25, 2023
उप्र में चिकित्सा व्यवस्था देखनेवाला कोई नहीं है।
बीमारी
थैलेसीमिया क्या होता है?
थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाली खून की बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे में के शरीर में हीमोग्लोबिन नहीं बनता है, जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं।
बीमारी का पता बच्चे के जन्म के 3 माह बाद ही लग सकता है। इससे ग्रसित बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है और उसे बार-बार बाहर से खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है।
घातक
HIV और हेपेटाइटिस क्या है?
HIV एक वायरस है। इससे संक्रमित होने पर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इलाज के अभाव में व्यक्ति 'एड्स' जैसी घातक बीमारी से ग्रसित हो सकता है, जिसका कोई निदान नहीं है।
दूसरी तरफ हेपेटाइटिस भी एक तरफ का वायरस है, जो A, B, C, D और E 5 प्रकार का होता है। इससे संक्रमित व्यक्ति के लिवर में सूजन आ जाती है। इससे बचाव के लिए बच्चों को वैक्सीन दी जाती है।