#NewsBytesExplainer: अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन की विशेषताएं और ये कैसे भारत के लिए मददगार साबित होंगे?
भारत को अमेरिका से MQ9B प्रीडेटर ड्रोन मिलने जा रहे हैं। अमेरिकी कांग्रेस ने ड्रोन निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स (GE) को भारत को 31 MQ9B ड्रोन बेचने की मंजूरी दे दी है। इस प्रीडेटर ड्रोन की खरीद से भारत की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। इससे भारतीय सेना को पाकिस्तान और चीन की सीमा पर दुश्मनों पर नजर रखने में काफी मदद मिलेगी। आइए जानते हैं कि ये प्रीडेटर ड्रोन क्यों खास हैं और ये कैसे मददगार साबित होंगे।
सबसे पहले जानें कब और कितने में हुआ सौदा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस सौदे की घोषणा हुई थी। प्रीडेटर ड्रोन के लिए भारत और अमेरिका के बीच 3.99 अरब डॉलर (लगभग 330 अरब रुपये) का सौदा हुआ है। हालांकि, इस सौदे की मजूंरी को लेकर अभी केंद्र सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत को 31 MQ9B ड्रोन की ब्रिकी की अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी।
भारतीय सेनाओं को कितने-कितने ड्रोन मिलेंगे?
भारत को मिलने वाले 31 प्रीडेटर ड्रोन में से सबसे ज्यादा 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को मिलेंगे, जबकि भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना को 8-8 ड्रोन दिए जाएंगे। इस ड्रोन के 2 वेरिएंट हैं। एक स्काई गार्जन और दूसरा सी (समुद्र) गार्जन। इसका मतलब है कि ये ड्रोन हवा और समुद्र दोनों क्षेत्रों में कारगर है। भारतीय सेना को इनसे हिंद महासागर क्षेत्र और पड़ोसी देशों से लगी सीमाओं की निगरानी करने में काफी मदद मिलेगी।
MQ9B ड्रोन में क्या खासियतें?
ये प्रीडेटर ड्रोन मानव रहित हवाई वाहन (UAV) तकनीक से लैस हैं। इसका मतलब है कि इन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। MQ9B ड्रोन मिसाइल से दुश्मनों के ठिकाने पर सटीक हमले कर सकता है। ये ड्रोन हवा में 35 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है, जिससे लंबे समय तक दुश्मन की निगरानी की जा सकती है। इसके पंखों की लंबाई 79 फुट है, जबकि बॉडी की लंबाई 38 फुट है।
ड्रोन की और क्या है खासियत?
ये ड्रोन 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है और करीब 11,000 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने में सक्षम है। ये ड्रोन अपने साथ 2,500 किलोग्राम वजनी कुल मिसाइलें लेकर उड़ान भर सकता है। इसकी सबसी बड़ी खासियत ये है कि यह 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम हैं। इस वजह से ये आसानी से दुश्मनों की पकड़ में नहीं आता और ऑटोमैटिक टेक-ऑफ या लैंडिंग कर सकता है।
अमेरिका ने किन-किन सैन्य ऑपरेशन में ड्रोन का किया इस्तेमाल?
अमेरिका अपने खास सैन्य ऑपरेशन में इस ड्रोन का इस्तेमाल करता आया है। इस ड्रोन से 31 जुलाई, 2022 को अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी को अफगानिस्तान में मार गिराया था। इससे पहले अमेरिकी ड्रोन हमले में 3 जनवरी, 2020 को बगदाद एयरपोर्ट के पास ईरान के कुद्स फोर्स के मुखिया कासिम सुलेमानी भी मारा गया था। 21 मई, 2016 में अमेरिका ने ड्रोन से मिसाइल दागकर तालिबानी नेता अख्तर मंसूर को बलूचिस्तान में मार गिराया था।
भारत के लिए कैसे मददगार साबित होंगे ड्रोन?
इस ड्रोन के मिलने से भारत की आतंकवाद-रोधी क्षमताएं भी कई गुना बढ़ जाएंगी क्योंकि सेना द्वारा सीमा पर अब आसानी से पाकिस्तानी घुसपैठियों को निशाना बनाया जा सकता है। भारतीय सेना के पास अब सीमा और उसकी निगरानी के लिए पर्याप्त संसाधन होंगे। इस ड्रोन से नियंत्रण रेखा (LOC) या वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी की जा सकती है। इससे अलावा ड्रोन की मदद से भारतीय नौसेना हिंद महासागर में होने वाली गतिविधियों पर भी नजर रख सकेगी।
जरूरत पड़ने पर हमला भी कर सकेंगे प्रीडेटर ड्रोन
LAC और LOC के विवादित क्षेत्र में ड्रोन की परिचालन सीमा 27,000 फीट है। ये ड्रोन लगभग 40,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मन पर नजर रख सकता है और आवश्यकता पड़ने पर हमला करने में भी सक्षम है।