पन्नू मामले में आरोपी निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण को मंजूरी, चेक कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य की कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को चेक हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण पर फैसले पर कहा कि सरकार चाहे तो वह आरोपी गुप्ता को अमेरिका को सौंप सकती है। न्याय मंत्रालय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने कोर्ट के फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब न्याय मंत्री पावेल ब्लेजेक प्रत्यर्पण को लेकर अंतिम फैसला लेंगे।
गुप्ता के पास अब क्या विकल्प हैं?
मंत्रालय के प्रवक्ता रेपका ने कहा कि न्याय मंत्री ब्लेजेक अब इस महत्वपूर्ण फैसले पर निर्णय लेंगे कि गुप्ता को बाद में अमेरिका को प्रत्यर्पित किया जाए या नहीं। उन्होंने कहा कि मामले में मंत्री कब तक फैसला लेते हैं, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता और इस बीच गुप्ता निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गुप्ता के पास अपील के लिए 3 महीने का समय है।
गुप्ता के वकील ने क्या कहा?
गुप्ता के वकील ने कहा है कि वह न्याय मंत्री से प्रत्यर्पण रोकने के लिए कहेंगे और मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कोर्ट में दावा किया था कि गुप्ता को हिरासत में बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा है। बता दें कि गुप्ता को 30 जून, 2023 चेक गणराज्य के प्राग में गिरफ्तार किया गया था और वह जेल में बंद है, जबकि अमेरिकी सरकार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।
क्या है मामला?
अमेरिका ने दावा किया है कि उसने पन्नू को अमेरिका में मारने की साजिश को नाकाम किया था। इस साजिश में गुप्ता शामिल थे। अमेरिका ने आरोप लगाए कि इस पूरी साजिश में एक उच्चस्तरीय भारतीय अधिकारी भी शामिल था। हालांकि, इस मामले में अमेरिका ने कोई सबूत पेश नहीं किए। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर अमेरिका सबूत पेश करेगा तो वो जांच करने को तैयार हैं।
गुप्ता पर क्या आरोप हैं?
अमेरिका ने गुप्ता पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर पन्नू की हत्या की सुपारी दी थी। इस काम के बदले उन्हें एक लाख डॉलर दिए जाने थे। न्याय विभाग ने कहा कि निखिल नशीले पदार्थों और हथियारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी में भी शामिल रहे हैं। अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, आरोप साबित होने पर उन्हें 10 साल की सजा हो सकती है।