#NewsBytesExplainer: भाजपा कैसे केरल में खुद को मजबूत कर रही है?
केरल एक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा आज तक एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती है। इस अनचाहे रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए पार्टी यहां अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है और लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 बार केरल का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान वे राज्य के कई जिलों में निजी, सार्वजनिक और पार्टी कार्यक्रमों में शामिल हुए। आइए जानते हैं कि भाजपा केरल में कैसे अपना जनाधार बढ़ा रही है।
भाजपा केरल में क्या रणनीति अपना रही?
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी केरल में राजनीतिक और धार्मिक के अलावा विकासात्मक दृष्टिकोण पर भी जोर दे रहे हैं। राज्य में अपनी 2 दिवसीय यात्रा के दौरान उन्होंने कोच्चि में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की 3 बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में न्यू ड्राई डॉक, अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (ISRF) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आयात टर्मिनल शामिल हैं।
ईसाई और दलित समुदायों को अपने पक्ष में करने में जुटी पार्टी
न्यूज 18 ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि कोच्चि में प्रधानमंत्री के स्वागत समारोह में दलित और ईसाई समेत कई समुदायों के नेता मौजूद थे। इनमें सिरो मालाबार, जेकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स ईसाई समुदायों के वरिष्ठ नेता और सदस्य भी शामिल थे। दरअसल, केरल में ईसाई कुल आबादी का 18.38 प्रतिशत हैं और पार्टी उन्हें अपने पक्ष में करने में जुटी है। भाजपा ने यहां ईसाई और दलितों के समर्थन के लिए स्नेह यात्रा भी शुरू की थी।
राज्य में ईसाई समर्थन से बढ़ा पार्टी का मनोबल
केरल भाजपा के प्रमुख के सुरेंद्रन ने कहा, "दिसंबर में शुरू हुई स्नेह यात्रा में भाजपा को 'सकारात्मक' प्रतिक्रियाएं मिलीं। हमने कुल 8 लाख ईसाई परिवारों को कवर किया और हमें किसी भी घर से नकारात्मक दृष्टिकोण का अनुभव नहीं हुआ। ईसाई समुदाय भी हमारा समर्थन करता है और वे बड़ी संख्या में हमारे साथ जुड़ रहे हैं।" इस समर्थन का पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है।
त्रिपुरा के बाद केरल से वामपंथी दल को सत्ता से उखाड़ने की रणनीति
केरल में भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अनुसार, संघ और भाजपा राज्य में हिंदू-ईसाई आधार के साथ आगे बढ़ रही है, ताकि वामपंथी शासन की 'मौलिक ताकतों' को घेरा जाए, जिनमें पीपुल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) जैसे प्रतिबंधित संगठन शामिल हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि वामपंथियों के खिलाफ वैचारिक लड़ाई में केरल आखिरी किला है क्योंकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और त्रिपुरा में भाजपा ने वामपंथी शासन को खत्म किया।
राज्य में जारी है आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला
केरल में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। भाजपा सत्तारूढ़ पार्टी पर राज्य का इस्लामीकरण करने और बाहरी देशों के साथ राज्य में तस्करी और धन शोधन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगा रही। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भाजपा के इन दावों को खारिज कर उस पर विभाजनकारी राजनीति करने के आरोप लगाए है। एक वरिष्ठ सांसद ने कहा, "केरल के लोग वास्तविकता जानते हैं। राज्य में विविधतापूर्ण समाज है और लोग यहां शांतिपूर्वक रहते हैं।"
केरल में कितनी मजबूत है भाजपा?
सुरेंद्रन ने कहा कि 2019 में भाजपा ने भले ही एक भी सीट नहीं जीती थी, लेकिन 4 सीटों पर उसका 34 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर था। इस बार पार्टी किसी तरह लोकसभा सीट जीतने के प्रयास में जुटी है। सुरेंद्रन ने कहा, "संगठन को मजबूत करने और लोगों तक पहुंचने पर बड़ा जोर दिया गया है। हमें सत्तारूढ़ पार्टी को बाहर करना है, जो PFI जैसे संगठनों को पनाह देती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं।"
दक्षिण भारत के राज्यों पर है भाजपा की नजर
भाजपा दक्षिण भारत में केरल के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी अपनी उपस्थिति मजबूत करने में जुटी है। लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और लक्षद्वीप के दौरे कर रहे हैं। इन राज्यों में उन्होंने न केवल कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, बल्कि वहां के प्रमुख मदिरों में दर्शन भी कर रहे हैं। बता दें कि साल 2019 में पार्टी ने दक्षिण भारत की 130 सीटों में से भाजपा ने केवल 25 सीटें जीती थीं।