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    अभी तक नहीं बने नागरिकता कानून के नियम, गृह मंत्रालय ने मांगा अतिरिक्त समय

    अभी तक नहीं बने नागरिकता कानून के नियम, गृह मंत्रालय ने मांगा अतिरिक्त समय

    लेखन प्रमोद कुमार
    Aug 02, 2020
    08:28 pm

    क्या है खबर?

    गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति से जुड़े एक विभाग को सूचना दी है कि उसे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) से जुड़े नियम बनाने के लिए और तीन महीने का समय चाहिए।

    संसद ने पिछले साल दिसंबर में इस कानून को पारित किया था।

    नियमों के अनुसार, किसी कानून पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के छह महीनों के भीतर उससे जुड़े नियम बन जाने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो संसदीय समिति से इसके लिए समय मांगा जाना चाहिए।

    कानून

    क्या है नागरिकता संसोधन कानून?

    पिछले साल दिसंबर में संसद से पारित हुए CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को आसानी से भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

    मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखने के कारण इसका विरोध हो रहा है और इसे देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ बताया जा रहा है।

    इसी कारण शाहीन बाग समेत देशभर के अलग-अलग शहरों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे।

    जानकारी

    जल्द बनाएं जाएंगे नियम- अधिकारी

    हिंदुस्तान टाइम्स ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि मंत्रालय बीते कुछ महीनों से दूसरे कामों में व्यस्त था। इसलिए अतिरिक्त समय की मांग की गई है। जल्द ही नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

    नियम

    एक बार में मांगा जा सकता है तीन महीने का समय

    संसदीय कार्यों के मैनुअल के मुताबिक, अगर कोई मंत्रालय या विभाग किसी कानून पर तय छह महीनों के समय में नियम नहीं बना पाता है तो उन्हें संसदीय समिति से इसका कारण बताते हुए समय की मांग करने होती है।

    छह महीने बीतने के बाद एक बार में तीन महीने से ज्यादा समय की मांग नहीं की जा सकती।

    नागरिकता कानून में संशोधन को छह महीने से अधिक समय बीत चुका था। इसलिए अब अतिरिक्त समय मांगा गया है।

    नागरिकता

    नियम बनने तक शरणार्थियों को देने होंगे ये दस्तावेज

    सरकार का कहना है कि जब तक नियम नहीं बनाए जाते, तब तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए अपनी धार्मिक पहचान से जुड़े दस्तावेज देने होंगे।

    हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी आवेदकों को यह सबूत भी देना होगा कि वो 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके थे। इन दस्तावेजों के आधार पर ही उन्हें नागरिकता दी जाएगी।

    विरोध

    इस आधार पर हो रहा है नागरिकता कानून का विरोध

    नागरिकता संसोधन कानून को संसद से मंजूरी मिलने के बाद देशभर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

    विपक्षी पार्टियों और इस कानून का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, जो संविधान का उल्लंघन है।

    उनका यह भी कहना है कि यह कानून नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के साथ मिलकर मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है।

    जानकारी

    सरकार ने सभी आरोपों का किया खंडन

    हालांकि, सरकार पर इन विरोधों का कोई असर नहीं दिखा और उसने सारे आरोपों का खंडन किया है। गृह मंत्री अमित शाह का कहना था कि ये विरोध राजनीतिक हैं और इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।

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