पायल तड़वी आत्महत्या मामलाः तीनों आरोपी महिला डॉक्टर गिरफ्तार, आज होगी अदालत में पेशी
डॉक्टर पायल तड़वी आत्महत्या मामले में पुलिस ने तीन महिला डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। BYL नायर अस्पताल में सेकंड ईयर की छात्रा पायल ने जातिसूचक तानों और शोषण से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। गिरफ्तार की गई डॉक्टरों में डॉक्टर हेमा आहूजा, डॉक्टर अंकिता खंडेलवाल और डॉक्टर भक्ति मेहरा शामिल हैं, जिन्हें बुधवार को अदालत में पेश किया जाएगा। इन तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने, रैगिंग और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बुधवार को हुई तीनों महिला डॉक्टरों की गिरफ्तारी
पुलिस ने भक्ति मेहरे को मंगलवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया था, जबकि बाकी दोनों आरोपी फरार थीं। उत्पीड़न से आरोपों से इनकार करते हुए इन डॉक्टरों ने महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स (MARD) को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा कि अगर काम के ज्यादा दवाब को रैगिंग कहा जा रहा है तो सभी डॉक्टरों के साथ रैगिंग हुई है। बता दें, अस्पताल प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एंटी रैगिंग समिति का भी गठन किया है।
ऑपरेशन थियेटर में पायल को डांटा गया- जांच
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, प्राथमिक जांच में पता चला कि आत्महत्या से कुछ घंटे पहले पायल को ऑपरेशन थियेटर में स्टाफ और मरीजो के सामने डांटा गया था, जिसके बाद वह रोते हुए वहां से निकली थी। पायल के पति सलमान और मां अबिदा सलीम ने आरोप लगाया कि आदिवासी कोटे से एडमिशन लेने के कारण पायल को परेशान किया जाता था। इस वजह से उसकी योग्यता पर भी सवाल उठाए जाते थे।
परिवार का आरोप- पायल से खराब बर्ताव करती थीं आरोपी डॉक्टर
परिवार का दावा है कि सलमान ने तीनों डॉक्टरों ने यूनिट हेड के माध्यम से पायल से बात नहीं करने को कहा था। उनमें से एक डॉक्टर ने पायल की तरफ फाइल फेंकी और खराब काम के लिए फटकार लगाई। अगले दिन उन डॉक्टरों ने कथित तौर पर पायल को सेकंड ईयर पूरा न कर पाने की धमकी दी। पायल की मां ने बताया, "वह रोज रोती थी। हर दिन उसके साथ उत्पीड़न बढ़ता गया।"
अस्पताल का दावा- मामले की सूचना नहीं मिली
परिवार के आरोपों के बीच अस्पताल के डीन का दावा है कि उन्हें कभी इस मामले की सूचना नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि कॉलेज में एंटी-रैगिंग सेल है लेकिन पायल ने कभी इसमें कोई शिकायत नहीं दी।
22 मई को पायल ने की थी आत्महत्या
पायल ने 22 मई को मुंबई के BYL नायर अस्पताल में आत्महत्या कर ली थी। पायल के घरवालों का आरोप है कि उसके तीन सीनियर डॉक्टर्स जातीय टिप्पणी करती थीं। इससे तंग आकर पायल ने आत्महत्या कर ली। घरवालों का यह भी कहना है कि उन्होंने इस बारे में कई बार अस्पताल प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस मामले ने एक बार फिर जातीय भेदभाव को लेकर बहस खड़ी कर दी है।
आरोपी डॉक्टरों की सदस्यता रद्द
पायल ने मई, 2018 में कॉलेज में एडमिशन लिया था और वो यहां बतौर रेजिडेंट डॉक्टर तैनात थी। परिवार का आरोप है कि पायल का एडमिशन गायनोकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स विभाग में आरक्षित कोटे से हुआ था, इसलिए आरोपी डॉक्टर्स लगातार उन्हें परेशान करती थी। पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), SC/ST एक्ट, एंटी रैगिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। MARD ने आरोपियों की सदस्यता निरस्त कर दी है।