
उत्तराखंड: जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर PMO में अहम बैठक
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर आज प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में कैबिनेट सचिव, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDRF) के सदस्यों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक करेंगे।
इस बैठक में उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी और जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहेंगे।
बीते शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ का स्थलीय निरीक्षण किया था।
आपदा
क्या है जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला?
चमोली में लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ में जमीन धंस रही है और इसके कारण करीब 600 घरों में भी दरारें आ गई हैं।
इसको देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने यहां प्रभावित 600 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकों का जीवन और सुरक्षा उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
शनिवार को धामी ने जमीन में धंसते जोशीमठ का स्थलीय निरीक्षण करते हुए प्रभावित परिवारों से मुलाकात की थी।
ट्विटर पोस्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री से की बातचीत
आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने जोशीमठ के संदर्भ में दूरभाष के माध्यम से वार्ता कर प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा व पुनर्वास हेतु उठाए गए कदमों एवं समस्या के समाधान हेतु तात्कालिक तथा दीर्घकालिक कार्य योजना की प्रगति के विषय में जानकारी ली।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) January 8, 2023
बयान
लोगों को सुरक्षित बचाना सबसे महत्वपूर्ण- धामी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी जोशीमठ में बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक से मुलाकात की।
धामी ने उनके साथ बातचीत करते हुए समस्याओं को जाना और इसी बीच प्रभावित परिवारों के मिलते हुए वह भावुक नजर आए।
धामी ने कहा, "नागरिकों का जीवन और सुरक्षा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है और हमारी कोशिश सभी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की है। इसके लिए आपदा प्रबंधन की टीम द्वारा सभी इंतजाम और तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही है।"
समस्या
"जोशीमठ में सालों से चली आ रही है यह स्थिति"
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने कहा, "जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण मकानों और सड़कों में दरारों का दिखना नया मामला नहीं है। यह स्थिति सालों से चली आ रही है।"
उन्होंने कहा, "इस पहाड़ी शहर में आज की स्थिति प्राकृतिक और मानवजनित दोनों तरह के कारणों का परिणाम है। यहां की मिट्टी कमजोर है और इसमें ज्यादातर हिस्सा भूस्खलन के बाद एकत्र हुए मलबे का है।"
कारण
जोशीमठ में जमीन धंसने के क्या है प्रमुख कारण?
सेन ने कहा, "जोशीमठ की नींव को तीन प्रमुख कारक कमजोर कर रहे हैं। पहला शहर एक सदी से भी पहले भूकंप के बाद हुए भूस्खलन के मलबे पर विकसित है। दूसरा, यह भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले जोन पांच में आता है और तीसरा, पानी का लगातार बहाव चट्टानों को कमजोर करता है।"
उन्होंने कहा, "अनियोजित निर्माण, जनसंख्या का दबाव, पर्यटकों की भीड़, पानी के बहाव में बाधा और जल विद्युत परियोजनाएं जैसे मानवजनित कारक भी इसके जिम्मेदार हैं।
मांग
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर याचिका
शनिवार को ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने जोशीमठ भू धंसाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में प्रभावितों के पुनर्वास के साथ उन्हें आर्थिक मदद मुहैया का आग्रह कोर्ट से किया गया है।
इस याचिका में जोशीमठ क्षेत्र की जनता के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भू-धंसाव जैसी घटनाओं से निपटने के लिए उसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में घोषित कर त्वरित मदद करने की गुहार लगाई गई है।