
जिन कमांडरों के सैन्य अड्डों पर हुआ हमला, उन पर कड़ी कार्रवाई करना चाहती है सरकार
क्या है खबर?
जिन सैन्य अड्डों और कैंप की सुरक्षा में आंतकी सेंध लगाने में कामयाब रहे, उन अड्डों के कमांडरों पर कार्रवाई की जा सकती है।
सुरक्षा में हुई चूक के लिए वरिष्ठ नेतृत्व पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें "घर भेजने" का फैसला लिया है।
खबरों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के उरी ब्रिगेड, सुंजवान सैन्य कैंप और नगरोटा सैन्य अड्डे के कमांडरों पर कार्रवाई की जाएगी, जिनके अड्डों पर बीते सालों में आतंकियों ने हमला किया है।
रिपोर्ट
नई सरकार बनते ही इस्तीफा चाहती थी सरकार
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, एक सुरक्षा अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि सरकार ने अपना ये सुझाव भारतीय सेना को भेज दिया है।
उन्होंने बताया कि सरकार चाहती है कि ये अधिकारी इस्तीफा देकर रिटायर हो जाएं। इस बीच अधिकारियों को सारी सुविधाएं मिलती रहेंगी।
दूसरे अधिकारी ने बताया कि सेना को बताया गया था कि नई सरकार की शपथ के एक दिन बाद इन कमांडरों को इस्तीफा दे देना है।
आतंकी हमला
तीनों हमलों में शहीद हुए थे कुल 37 जवान
बता दें कि उरी और नगरोटा सैन्य अड्डे पर 2016 में आतंकी हमला हुआ था। वहीं, सुंजुवान कैंप पर पिछले साल हमला हुआ था।
18 सितंबर 2016 की रात आतंकियों ने उरी में सोते हुए जवानों पर हमला किया था, जिसमें 19 जवान शहीद हुए थे।
29 नवंबर 2016 को नगरोटा में 14 कोर्प्स आर्टिलरी ब्रिगेड पर हुए हमले में 7 जवान शहीद हुए थे।
10 फरवरी 2018 को सुंजुवान कैंप पर हुए हमले में 11 जवान शहीद हुए थे।
जानकारी
उरी हमले के बाद सेना ने की थी सर्जिकल स्ट्राइक
उरी हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा देखने को मिला था और सेना ने इसका बदला लेते हुए 28 सितंबर 2016 को सीमा पार आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव बेहद बढ़ गया था।
जांच
सुरक्षा में चूक की बात आई थी सामने
उरी आंतकी हमले की जांच में हमले का खुफिया अलर्ट होने के बावजूद सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया था।
अधिक सुरक्षित सुरक्षित आश्रय होने के बावजूद सैनिकों को टेंट में रखा गया था, जिससे आतंकी उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचाने में सफल रहे।
नगरोटा और सुंजुवान आतंकी हमले की जांच में भी सुरक्षा में लापरवाही की बात सामने आई थी।
आतंकी कई स्तरीय सुरक्षा के बावजूद नगरोटा कैंप में घुसने में कामयाब रहे थे।
कमांडरों पर कार्रवाई
पहले कार्यकाल में भी कार्रवाई चाहती थी मोदी सरकार
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में भी हमलों के लिए जवाबदेही तय करते हुए कमांडरों पर कड़ी कार्रवाई पर जोर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ बातचीत में हमलों पर सख्त नाराजगी जाहिर की थी।
सरकार सुरक्षा में चूक के लिए शीर्ष नेतृत्व पर कार्रवाई करना चाहती थी।
अब सत्ता वापसी के बाद सरकार ने सैन्य कमांडरों पर कार्रवाई की अपनी पहल को आगे बढ़ाया है।
सेना का रुख
कार्रवाई के खिलाफ है सेना
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के अनुसार, सेना कमांडरों को रिटायर किए जाने के फैसले पर सहमत नहीं है।
सेना का मानना है कि ऐसी कार्रवाई एक बुरी मिसाल पेश करेगी और सैन्य अधिकारी आतंकियों पर कार्रवाई से ज्यादा अपने अड्डे को किला बनाने पर ज्यादा ध्यान देंगे।
इससे पहले कमांडरों पर सख्त कार्रवाई के मुद्दे पर सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि कमांड से हटाया जाना अपमानजनक है।