चीन के साथ तनाव के बीच दो अरब डॉलर के एयर वार्निंग सिस्टम खरीदेगा भारत- रिपोर्ट
क्या है खबर?
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ तनाव के बीच मोदी सरकार अगले हफ्ते इजरायल से दो फॉल्कन (PHALCON) एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने पिछले हफ्ते ही प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी और अब आखिरी मुहर के लिए इसे सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के सामने रखा गया है।
इस पूरे सौदे की कीमत दो अरब डॉलर हो सकती है।
AWACS
क्या होता है AWACS?
AWACS लॉन्ग रेंज रडार सर्विलांस सिस्टम होता है जिसका इस्तेमाल वायु सुरक्षा के लिए किया जाता है।
ये लगभग 370 किलोमीटर तक की दूरी में किसी भी वायु गतिविधि को पकड़ सकता है।
AWACS काफी नीचे उड़ान भर रहे विमानों को भी पकड़ सकता है और किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम है।
इसमें लगा हुआ कंप्यूटर दुश्मनों की कार्रवाई और उनकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इसे विरोधी पकड़ नहीं सकते है।
कमतर
भारत के पास चीन और पाकिस्तान के मुकाबले कम AWACS
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना के पास अभी पांच AWACS हैं। इनमें से तीन फॉल्कन AWACS हैं, वहीं दो को DRDO के रडार की मदद से विकसित किया गया है।
भारत के मुकाबले चीन के पास 28 और पाकिस्तान पर सात AWACS हैं, जिनका वे युद्ध की स्थिति में हवाई सुरक्षा के लिए कर सकते हैं। पड़ोसियों के मुकाबले कम AWACS होने के कारण भारत में पिछले कुछ समय से इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही थी।
जरूरत
एयर स्ट्राइक के समय पहली बार महसूस हुई थी ज्यादा AWACS की जरूरत
अधिकारियों के अनुसार, ज्यादा AWACS होने की जरूरत असल में बालाकोट एयर स्ट्राइक के के बाद महसूस की गई थी क्योंकि पाकिस्तान अपने AWACS को 24*7 उत्तर और दक्षिण के सेक्टरों में तैनात करने में समर्थ रहा था, जबकि भारत दोनों जगहों को प्रतिदिन केवल 12 घंटे ही कवर कर सका।
अब LAC पर चीनी सेना के आक्रामक रवैये और भारतीय सीमा में अतिक्रमण और घुसपैठ के बाद AWACS की और ज्यादा जरूरत महसूस की गई।
नई खरीद
एक अरब डॉलर के आएंगे रडार, बाकी एक अरब डॉलर प्लेटफॉर्म के
इन्हीं जरूरतों को देखते हुए मोदी सरकार अब दो नए फॉल्कन AWACS खरीदने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के दो फॉल्कन रडार की कीमत लगभग एक अरब डॉलर होगी, वहीं बाकी के एक अरब डॉलर इनके लिए रूसी A-50 प्लेटफॉर्म खरीदने में खर्च होंगे।
रडार और प्लेटफॉर्म को इजरायल में जोड़ा जाएगा और पूरे सिस्टम की डिलीवरी में दो से तीन साल का समय लग सकता है। CCS अगले हफ्ते इस पूरे प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।
प्रस्ताव
दूसरी बार CCS के पास पहुंचा प्रस्ताव
ये दूसरी बार है जब ये प्रस्ताव CCS के पास पहुंचा है। पिछली बार प्रस्ताव को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के पास वापस भेजकर कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए थे।
बता दें कि भारतीय सेना अपने बटालियन कमांडरों के लिए 200 ड्रोन भी खरीद रही है ताकि सीमा के आसपास के क्षेत्रों पर आसानी से नजर रखी जा सके। इन डोन्स को भारत में DRDO के साथ विकसित किया गया है और इनका ट्रायल भी पूरा हो चुका है।