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    प्रशांत भूषण का माफी मांगने से इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने बयान पर पुनर्विचार का दिया समय

    प्रशांत भूषण का माफी मांगने से इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने बयान पर पुनर्विचार का दिया समय

    लेखन भारत शर्मा
    Aug 20, 2020
    05:16 pm

    क्या है खबर?

    प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सजा पर सुनवाई टाल दी है। कोर्ट ने भूषण को बयान पुनर्विचार के लिए दो दिन का समय दिया है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके ट्वीट एक नागरिक के रूप में उनके कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे और वह अवमानना के दायरे से बाहर हैं। वह इस मामले में माफी नहीं मांगेंगे और अदालत द्वारा दी जाने वाली हर सजा भुगतने को तैयार हैं।

    पृष्ठभूमि

    प्रशांत भूषण ने जून में किए थे विवादित ट्वीट

    प्रशांत भूषण ने जून में दो ट्वीट करते CJIs की आलोचना की थी। 27 जून के ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि बिना आधिकारिक आपातकाल के भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पिछले चार CJIs की भूमिका को चिन्हित किया जाएगा।

    इसी तरह 29 जून के ट्वीट में उन्होंने CJI बोबड़े की हार्ले डेविडसन बाइक की सवारी करते हुए फोटो पोस्ट कर लिखा था कि CJI आनंद ले रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट बंद है।

    आदेश

    तीन न्यायाधीशों की बेंच ने भूषण को माना अवमानना का दोषी

    जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की तीन-जजों की बेंच ने पिछले सप्ताह भूषण द्वारा किए गए ट्वीटों को कोर्ट की अवमानना मानते हुए उन्हें अवमानना का दोषी माना था। उस दौरान बैंच में सजा पर गुरुवार को बहस करने का निर्णय किया था।

    गुरुवार को सुनवाई में कोर्ट ने भूषण की दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मामले को अन्य बैंच को सौंपने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि वह पुनर्विचार याचिका लगाना चाहते हैं।

    बयान

    गलत समझे जाने से दुखी हूं- भूषण

    सजा पर सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने भूषण को आश्वासन दिया कि उनकी सजा तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि कोई अन्य पीठ उनकी समीक्षा याचिका पर फैसला नहीं लेती।

    भूषण ने भी कोर्ट से अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "मुझे सजा सुनाए जाने का दुख नहीं है, बल्कि मुझे गलत समझा जाने का दुख है।" उन्होंने कहा, "मेरा मानना ​​है कि लोकतंत्र और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए खुली आलोचना आवश्यक है।"

    दलील

    मेरे ट्वीट प्रामाणिक विश्वासों का करते हैं प्रतिनिधित्व- भूषण

    भूषण ने यह भी कहा, "मुझे यह विश्वास करना मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया कि मेरे ट्वीट ने संस्था की नींव को अस्थिर करने का प्रयास किया।"

    उन्होंने कहा, "मैं केवल यह दोहरा सकता हूं कि ये दो ट्वीट मेरे प्रामाणिक विश्वासों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी अभिव्यक्ति किसी भी लोकतंत्र में स्वीकार्य होनी चाहिए।"

    उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने इस पर बात नहीं की होती, तो यह कर्तव्य परायणता के रूप में योग्य होता।

    जानकारी

    मैं दया की अपील नहीं करता हूं- भूषण

    भूषण ने कहा, "मेरे ट्वीट को संस्था की बेहतरी के लिए काम करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। मैं दया की अपील नहीं करता हूं। मेरे प्रमाणिक बयान के लिए कोर्ट की ओर से जो भी सजा मिलेगी, वह मुझे मंजूर होगी।"

    निर्णय

    सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को अपने बयान पर पुनर्विचार करने को कहा

    भूषण की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति मिश्रा ने उन्हें अपने बयानों पर "पुनर्विचार" करने के लिए कहा।

    उन्होंने कहा कि उन्होंने 24 साल के लंबे करियर में किसी को भी न्यायाधीश के रूप में अवमानना ​​का दोषी नहीं ठहराया है। ऐसे में भूषण ने जो लिखा है उस पर पुनर्विचार के लिए दो दिन का समय दिया जा रहा है।"

    उन्होंने कहा, "हर चीज की एक लक्ष्मण रेखा होती है। इसे पार क्यों करना है? यह गंभीर मामला है।"

    अपील

    अटॉर्नी जनरल की अपील पर कोर्ट ने क्या कहा?

    अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा, "मैं लॉर्डशिप से अपील करता हूं कि प्रशांत आम लोगों के हित में शानदार काम करते रहे हैं। ऐसे में उन्हें सजा न दी जाए।"

    हालांकि, जस्टिस मिश्रा ने इसके जवाब में कहा कि उनकी अपील तब तक नहीं मानी जा सकती जब तक प्रशांत अपने स्टेटमेंट पर फिर से विचार नहीं करते हैं।

    कोर्ट यह भी कहा कि वह अटॉर्नी जनरल से केस के मेरिट पर कोई बात नहीं सुनना चाहती।

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