अब LAC पर बंदूकों का प्रयोग कर सकेंगे भारतीय सैनिक, सेना ने दी खुली छूट- रिपोर्ट
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद भारतीय सेना ने अपने 'रूल्स ऑफ इंगेजमेंट' (ROE) में बदलाव किया है और सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर किसी भी तरह की कार्रवाई की खुली छूट दे दी है। अब इलाके में तैनात कमांडर जरूरत पड़ने पर बंदूक समेत उनके पास उपलब्ध सभी तरह के हथियारों के प्रयोग का आदेश दे सकेंगे। अब तक चीन के साथ हुए समझौते के कारण सैनिक ऐसा नहीं कर सकते थे।
15 जून की हिंसा में चीनी सैनिकों ने किया था घातक कटीले हथियारों का प्रयोग
15 जून को पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुई थे। यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई जब भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा के अंदर लगाए टेंट को हटाने गए थे। इसी दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थर, कंटीले रॉड और तारों से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था। पहले से बनाकर रखे गए ये हथियार बेहद घातक सिद्ध हुए थे।
पहले हुई झड़पों में भी चीनी सैनिकों ने किया था कटीले हथियारों का प्रयोग
इससे पहले 5 मई को पेंगोंग झील के पास हुई झड़प और मध्य मई में गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान भी चीनी सैनिकों ने ऐसे ही कटीले हथियारों का प्रयोग किया था और इनसे बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक घायल हुए थे। इन घटनाओं के बाद से ही सवाल उठ रहे थे कि अगर भारतीय सैनिकों को गोली चलाने की इजाजत होती तो वे खुद की बेहतर रक्षा कर सकते थे और इसलिए नियमों में बदलाव होना चाहिए।
क्या हैं नियम?
भारत और चीन के बीच 1996 में हुए एक समझौते में दोनों देशों के सैनिकों के आमने-सामने आने पर फायर आर्म्स (बंदूक, तोप) आदि के प्रयोग पर पाबंदी लगाई गई थी। हालांकि कई सैन्य विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों का कहना है कि ये समझौता सामान्य गश्तों के लिए हैं और हिंसक झड़प की स्थिति में इलाके का कमांडर अपने पास उपलब्ध हर तरह के हथियार के प्रयोग की इजाजत दे सकता है। इन नियमों पर काफी भ्रम पैदा हुआ था।
अब हर तरह के हथियारों के प्रयोग की अनुमति
अब सभी तरह के भ्रम को दूर करते हुए सैनिकों को जरूरत पड़ने पर हर तरह के फॉयर आर्म्स के प्रयोग की मंजूरी दे दी गई है। मामले से संबंधित दो अधिकारियों ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब कमांडर्स फायर आर्म्स के प्रयोग पर लगी पाबंदी से बंधे नहीं रहेंगे और असाधारण परिस्थितियों में अपने पास मौजूद हर संसाधन का प्रयोग कर सकेंगे। इनमें बंदूक से लेकर तोप तक शामिल हैं।
अधिकारी बोले- हिंसक झड़पों के बाद निश्चित था ROE में बदलाव
एक अधिकारी ने कहा कि सीमा पर कई हिंसक झड़पों के बाद ROE में बदलाव निश्चित था। उन्होंने कहा, "हर मौके पर वे (चीनी सैनिक) बड़ी संख्या में आए और हमारे सैनिकों पर लोहे की रॉड और कील लगे डंडों से हमला किया। हमारे सैनिक निडर होकर लड़े, लेकिन ROE में बदलाव की जरूरत थी।" वहीं दूसरे अधिकारी ने कहा कि चीनी सैनिकों द्वारा अपनाई गई क्रूर रणनीति के मुकाबले के लिए ROE में बदलाव किया गया है।
पूर्व सैन्य अधिकारियों और राहुल गांधी का आरोप- निहत्थे टेंट हटाने भेजे गए थे सैनिक
बता दें कि इस मामले पर राजनीति भी खूब हुई है। कई पूर्व सैन्य अधिकारियों और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाए है कि 15 जून की झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों के पास बूंदकें नहीं थीं और उन्हें निहत्था चीनी सैनिकों के पास भेजा गया था। उनकी दलील थी कि अगर उनके पास बंदूकें होती तो वे इतनी हिंसा के बाद उनका प्रयोग जरूर करते। सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है।