किसान प्रदर्शन: विकल्पों पर चर्चा को तैयार सरकार, कानून वापसी पर विचार नहीं- रिपोर्ट
तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। सरकार कानूनों में संशोधन की पेशकश कर चुकी है, लेकिन किसान संगठन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस गतिरोध का जल्द हल निकलता नहीं दिख रहा क्योंकि सरकार कानून वापस लेने को तैयार नहीं है। सूत्रों ने बताया कि दूसरे सभी विकल्पों पर चर्चा हो सकती है, लेकिन सरकार ये तीन नए कृषि कानून वापस नहीं लेगी।
बाकी विकल्पों पर बात हो सकती है, लेकिन कानून वापस नहीं होंगे- सूत्र
इंडियन एक्सप्रेस ने शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इन तीन कानूनों को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता, लेकिन बाकी सभी विकल्पों पर बात हो सकती है। एक और शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस गतिरोध का समाधान केवल बातचीत से हो सकता है और अगर किसान प्रदर्शन लंबा खींचना चाहते हैं तो सरकार भी इसके लिए तैयार है। उनकी यह टिप्पणी सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद आई है।
कुछ प्रावधान बदल सकती है सरकार- सूत्र
सत्तारूढ़ पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि अगर सरकार ये कानून वापस लेती है तो कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिखाएगा। इसके साथ ही यह कृषि क्षेत्र में सुधारों की कोशिशों के लिए बड़ा झटका होगा। ऐसी स्थिति में विकल्पों के बारे में पूछने पर सूत्रों ने कहा कि सरकार कानून के कुछ प्रावधान बदल सकती है या इन कानूनों को लागू करने की बजाय कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है।
समाधान का इंतजार कर रही सरकार
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, "हम देख रहे हैं कि किसान 9 दिसंबर को किन मुद्दों के साथ बातचीत के लिए आते हैं। हमें जल्दबाजी नहीं है। अभी तक जो कृषि मंत्री ने किसानों को बताया है, वही सरकार का स्टैंड है।"
आने वाले दिनों में शाह और सिंह को उतार सकती है सरकार
शनिवार को हुई पांचवें दौर की बातचीत से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर तोमर, पीयूष गोयल, राजनाथ सिंह और अमित शाह के साथ बैठक की थी। सरकार राजनाथ सिंह या अमित शाह या दोनों को आने वाले दिनों में मैदान में उतार सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि शुरुआती बैठकों का उद्देश्य बातचीत के लिए रास्ता तैयार करना था। इसके बाद सहमति न बनने पर वरिष्ठ मंत्रियों को आगे लाया जा सकता है।
कृषि कानूनों से जुड़ा मुद्दा क्या है?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
किसानों ने किया भारत बंद का आह्वान
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच अब अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी। इससे एक दिन पहले यानी 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद बुलाया है। किसानों ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि अगर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो वो 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। कांग्रेस, सपा, बसपा, शिवसेना, आम आदमी पार्टी समेत 10 से ज्यादा राजनीतिक दलों और कई संगठनों ने भारत बंद का समर्थन किया है।