
मणिपुर: भारत की जीत के बाद फुटबॉलर जैक्सन सिंह ने मैतेई समुदाय का झंडा लपेटा, विवाद
क्या है खबर?
मणिपुर हिंसा के बीच भारतीय फुटबॉलर जैक्सन सिंह ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
जैक्सन ने मंगलवार को सैफ चैंपियनशिप 2023 के खिताबी मुकाबले में भारत की जीत के बाद पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अपनी जर्सी के ऊपर मैतेई समुदाय का झंडा लपेट लिया।
मणिपुर में 3 मई को हिंसा की शुरुआत हुई थी, जिसमें अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
मामला
जैक्सन ने लपेटा मैतेई समुदाय का 7 रंगों वाला झंडा
जैक्सन ने बेंगलुरू के श्री कांतीरावा स्टेडियम में आयोजित मुकाबले के बाद कांगलेईपाक झंडा लपेटा हुआ था। 7 रंगों वाला यह झंडा प्राचीन मणिपुर की मैतेई जातीयता के 7 कबीलियाई राजवंशों का प्रतिनिधित्व करता है।
बता दें कि मणिपुर के थौबल जिले के रहने वाले जैक्सन भारतीय फुटबॉल टीम में एक डिफेंसिव मिडफील्डर हैं। उन्होंने भारत को रिकॉर्ड 9वीं बार सैफ चैंपियनशिप का खिताब दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आलोचना
फुटबॉल प्रशंसकों ने की जैक्सन की आलोचना
कई फुटबॉल प्रशंसकों ने झंडा लपेटने के लिए जैक्सन की आलोचना की है। उन्होंने व्यवहार को गैर-पेशेवर बताते हुए कार्रवाई की मांग भी की है।
एक प्रशंसक ने लिखा, 'जैक्सन सिंह अलगाववादी झंडे के साथ क्या कर रहे हैं? क्या वह नहीं जानते हैं कि यह कोई राज्य या क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है, जहां वह अपने देश भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भारतीय फुटबॉल संघ को कार्रवाई करनी चाहिए।'
बयान
मणिपुर के मुद्दों की तरफ ध्यान दिलवाना चाहता था- जैक्सन
जैक्सन ने आलोचना के बाद सफाई दी है। उन्होंने इंस्टाग्रम पर भारतीय फुटबॉल टीम की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'मैं झंडे के साथ जश्न मनाकर किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था। मेरा इरादा उन मुद्दों की ओर ध्यान दिलाना था, जिनका सामना मेरा गृह राज्य मणिपुर इस समय कर रहा है।'
उन्होंने आगे लिखा, 'यह जीत सभी भारतीयों को समर्पित है। मुझे उम्मीद है कि मेरे गृह राज्य मणिपुर में शांति लौटेगी।'
हिंसा
मणिपुर में 3 मई को भड़की थी हिंसा
मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च में मणिपुर सरकार से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा था।
इसका कुकी आदिवासियों ने विरोध किया और उनकी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को हिंसा भड़क गई थी।
भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के बावजूद मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है, जिसके कारण हजारों लोग बेघर जो चुके हैं।