बालाकोट एयर स्ट्राइक: समीक्षा रिपोर्ट में खुलासा, 6 में से 5 लक्ष्य पर निशाना रहा सफल
भारतीय वायुसेना (IAF) की बालाकोट एयर स्ट्राइक की समीक्षा रिपोर्ट में 6 में से 5 लक्ष्य पर निशाना सफल रहने की बात सामने आई है। एक बम में तकनीकी खामी के कारण उसे दागा नहीं जा सका। वायुसेना ने 26 फरवरी को की गई इस एयर स्ट्राइक में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित सबसे बड़े आतंकी कैंप पर बम बरसाए थे। यह हमला कितना सफल रहा और आतंकियों को कितना नुकसान हुआ, इसको लेकर विवाद उठता रहता है।
पुलवामा हमले के बदले में हुई थी एयर स्ट्राइक
14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर जैश आतंकी के फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। इसका बदला लेते हुए भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के आतंकी कैंप पर बम बरसाए थे। जहां भारत एयर स्ट्राइक के सफल होने की बात कहता रहा है, वहीं पाकिस्तान हमले में जान का कोई नुकसान न होने का दावा करता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी स्ट्राइक की सफलता पर सवाल उठा चुका है।
वायुसेना ने की एयर स्ट्राइक की समीक्षा
IAF एयर स्ट्राइक की समीक्षा कर रहा था और इसकी रिपोर्ट में एयर स्ट्राइक की ताकत, कमियों और ऑपरेशन से सीखे गए सबकों के बारे में बताया गया है। अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने सूत्रों के हवाले से इसके बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की है।
पाकिस्तान को पूरी तरह हैरान करने में सफल रही IAF
समीक्षा रिपोर्ट में पाकिस्तान को हमला होने तक अंधेरे में रखने को एक बड़ी कामयाबी माना गया है। IAF पाकिस्तान को हैरान करने में इतना सफल रहा कि हाई अलर्ट पर होने के बावजूद पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के लड़ाकू विमान जब तक तैयार हुए, भारत के मिराज-2000 विमान बम गिराकर वापस मुड़ चुके थे। इस दौरान कम से कम 8 लड़ाकू ठिकानों से PAF के विमानों ने उड़ान भरी। लेकिन उनके और मिराज के बीच 10 मिनट का अंतर रहा।
ऑपरेशन में शामिल पायलटों को मिलेगा वीरता पुरस्कार
रिपोर्ट में खुफिया जानकारी की सटीकता और हमले के लिए लक्ष्यों के चयन को भी सफल माना गया है। इसके अलावा ऑपरेशन में हिस्सा लेने वाले सारे पायलटों की प्रशंसा करते हुए उन्हें शीर्ष स्तर का बताया है। इसमें शामिल पायलटों को उनके कौशल और क्षमता के लिए वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है। पूरे ऑपरेशन में वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों समेत 6,000 जवानों के शामिल होने के बावजूद कोई भी सूचना लीक नहीं हुई।
हथियारों की सटीकता से उत्साहित IAF
रिपोर्ट में हमले में इस्तेमाल किए गए हथियारों की सटीकता को भी एक सकारात्मक पक्ष माना है। IAF ने हमले के लिए मुख्य तौर पर 6 इजरायली स्पाइस 2000 PGM बमों का इस्तेमाल किया था। इनमें से 5 सटीक निशाने पर लगे, जबकि एक को तकनीकी खराबी के कारण मिराज विमान से छोड़ा नहीं जा सका। हमले के समय PGM बम और मिराज विमान द्वारा देखी जा रही लोकेशन में अंतर था, इसलिए इसे नहीं चलाया गया।
बेहद खास हैं स्पाइस 2000 PGM बम
स्पाइस 2000 PGM एक अत्यधिक सटीक और जैमर-प्रूफ बम है जो भारी बादलों के बीच भी अच्छे से काम करता है। यह छत के रास्ते इमारत में घुसता है और फिर कुछ समय के बाद फटता है। इसके सॉफ्टेयर को छत के प्रकार, उसकी मोटाई और निर्माण की सामग्री के हिसाब से प्रोग्राम किया जाता है और उसके बाद बम को कितनी देर बाद फटना है, इसका समय सेट किया जाता है। यह केवल कंट्रोल सेंटर को बर्बाद करता है।
खराब मौसम ने पैदा की समस्याएं
स्पाइस 2000 के अलावा IAF विमान अपने साथ क्रिस्टल मेज AGM 142 भी लेकर गए थे, लेकिन भारी बादलो के कारण इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सका। रिपोर्ट में माना गया है कि भारी बादलों और खराब मौसम ने लड़ाकू विमानों के लिए समस्याएं पैदा कीं। अगर इन बमों को इस्तेमाल किया जाता तो वो स्ट्राइक का वीडियो बना सकते थे, जिससे IAF को एयर स्ट्राइक की सफलता पर उठ रहे सवालों का जवाब देने में आसानी होती।
इमारत तबाह करने वाले हथियार इस्तेमाल करने पर होती प्रोपेगैंडा युद्ध जीतने में मदद
सूत्रों ने अखबार को बताया, "प्रोपेगैंडा युद्ध, जिसे जीतने की जरूरत है, के स्वरूप को देखते हुए कहा जा सकता है कि हम ऐसा हथियार इस्तेमाल कर सकते थे जो लक्ष्य को तबाह कर देता। इससे पाकिस्तान स्ट्राइक में हुए नुकसान को नकार नहीं पाता।"
नहीं हो सका सारे हथियारों का इस्तेमाल
ऑपरेशन के नकारात्मक पहलुओं में सभी हथियारों को इस्तेमाल न हो पाना भी है। स्पाइस 2000 के अलावा जिन भी हथियारों को ले जाया गया था, उनका पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सका। रिपोर्ट के अनुसार, हथियारों के हिसाब से मिराज विमानों में किए गए बदलाव पूरी तरह से काम नहीं किए और इसी कारण उन्हें छोड़ा नहीं जा सका। इसमें टारगेट मैचिंग के लिए बेहतर तकनीक और हथियार के इस्तेमाल की बात कही गई है।