पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तानी हैकर्स ने बनाया भारतीय वेबसाइट्स को निशाना, मिला करारा जवाब
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी हैकर्स ने भारत सरकार की 90 से ज्यादा वेबसाइट और दूसरे सिस्टम को निशाना बनाने की कोशिश की। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पुलवामा हमले के बाद (ऑनलाइन) सिस्टम को भेदने की कई कोशिशें की गई। इसके लिए काफी असामान्य गतिविधियां देखी गई थी। हैकर्स के हमले इतने खतरनाक थे कि इन्हें रोकने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
वित्तीय संस्थान और पावर ग्रिड निशाने पर
अधिकारियों ने बताया कि हैकर्स के निशाने पर वित्तीय संस्थान और पावर ग्रिड मैनेजमेंट सिस्टम था, लेकिन इन सिस्टम के फायर वॉल्स और भारत की तरफ से उठाए गए सुरक्षा कदमों के चलते हैकर्स इन सिस्टम में सेंध नहीं लगा पाए। खास बात यह है कि हैकर्स बांग्लादेश से भारतीय नेटवर्क पर हमले पर कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह से ये हमले किये जा रहे थे, उसे देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था।
भारत ने भी दिया करारा जवाब
हैकर्स की तरफ से लगातार हो रहे हमलों के देखते हुए सरकार ने सभी विभागों के लिए अलर्ट जारी किया और मानक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं करने को कहा। अभी तक यह पता नहीं लगा है कि इन हमलों के पीछे किस एजेंसी का हाथ है। हालांकि, भारत की तरफ से भी इनका जवाब दिया गया। एक साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि पाकिस्तान को भी नुकसान पहुंचाया गया है।
हैकर्स ने लिया फेक न्यूज का सहारा
जब भारत की तरफ से इन हमलों का जवाब दिया गया तो हैकर्स ने लोगों में भ्रम फैलाने शुरू कर दिया। उन्होंने इंटरनेट पर फेक न्यूज और अफवाहें वायरल करना शुरू कर दिया। वेस्टर्न एयर कमांड के कमांडर-इन-चीफ एयर मार्शल सी हरि कुमार की रिटायरमेंट को यह बताकर प्रचारित किया गया कि सरकार ने उन्हें नौकरी से हटाया है। इसके अलावा पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक में भारतीय सेना को भारी नुकसान पहुंचने की फेक न्यूज को भी वायरल किया गया।
जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी पुलवामा हमले की जिम्मेदारी
पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे। आदिल अहमद डार नामक आतंकी ने विस्फोटकों से भरी कार को CRPF के काफिले में घुसा दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव इस सीमा तक पहुंच गया था कि दूसरे देशों को मध्यस्थता के लिए बीच में आना पड़ा।