सबसे अलग है उत्तर प्रदेश की यह सब्जी मंडी, संस्कृत नामों से बिकती हैं सब्जियां
अगर कोई आपको 'अलूकम्' या 'लसुनम्' खरीदने को कहे तो आप चौंक सकते हैं। ज्यादातर लोगों को नहीं पता होगा कि 'अलूकम' या 'लसुनम्' क्या होते हैं। अगर आप लखनऊ की निशांतगज सब्जी मंडी में जाएंगे तो आपको ऐसी ही सब्जियां देखने और खरीदने को मिलेंगी। दरअसल, इस मंडी में सभी सब्जियों को उनके संस्कृत नाम से बेचा जाता है। इसलिए आपको आलू की जगह 'अलुकम्' और लहसून की जगह 'लसुनम्' खरीदना होगा।
तख्तियों पर लिखे हैं संस्कृत में नाम
मंडी में सब्जियों की टोकरियों में छोटी-छोटी तख्तियों पर संस्कृत में नाम लिखे हुए हैं। यहां आलू की टोकरी में अलुकम्, टमाटर की टोकरी में रक्तफलम्, करेला के लिए करवेला, गाजर की टोकरी में गृञ्जनम् और प्याज की टोकरी में पलाण्डुः की तख्ती लगी है।
संस्कृत अध्यापक से लिखवाए नाम
मंडी में सब्जी बेचने वाले सोनू ने बताया कि इसके जरिए संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें संस्कृत नहीं आती है इसलिए एक संस्कृत के अध्यापक की मदद से उन्होंने सब्जियों के नाम सीखे और इनकी तख्तियां बनवाईं। सोनू ने बताया कि ग्राहकों को भी यह विचार पसंद आया। धीरे-धीरे ग्राहकों ने भी सब्जियों के संस्कृत नाम सीख लिए और वो इन्हीं नामों से सब्जियां खरीदने लगे हैं।
फैसले से नाखुश हैं कई दुकानदार
हालांकि, इस फैसले से मंडी के कई दुकानदार नाखुश भी हैं। उन्होंने इस काम को पब्लिसिटी स्टंट बताया है। मंडी के एक दुकानदार ने कहा कि सब्जी विक्रेता खुद संस्कृत का एक शब्द पढ़ या बोल नहीं पाते हैं, लेकिन पब्लिसिटी पाने के लिए यह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मंडी के लिए अच्छा नहीं है और संस्कृत का मजाक उड़ाने वाले इस काम को बंद करवाया जाएगा। कुछ सब्जी वालों ने ये तख्तियां हटा भी ली हैं।
ग्राहकों को पसंद आई कोशिश
इस पर कुछ सब्जी विक्रेताओं ने कहा कि गर्मी के चलते उन्हें बार-बार सब्जियों पर पानी छिड़कना पड़ता है। ऐसे में तख्तियां पूरी भीग जाती है। इन तख्तियों को भीगने से बचाने के लिए ये हटाई गईं हैं। उन्होंने बताया कि मंडी के दुकानदारों की बात गलत है। यहां किसी ग्राहक को जबरदस्ती संस्कृत बोलने या संस्कृत में बोलकर सब्जियां खरीदने को नहीं कहा जाता है। कई ग्राहक इस कोशिश को सही बताकर सब्जी विक्रेताओं का समर्थन कर रहे हैं।