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किसानों का दिल्ली मार्च: दूसरे दिन करीब 100 किसान, 24 पुलिसकर्मी घायल, जानें क्या-क्या हुआ 
किसान मार्च के दूसरे दिन भी हिंसक झड़प की खबरें हैं

किसानों का दिल्ली मार्च: दूसरे दिन करीब 100 किसान, 24 पुलिसकर्मी घायल, जानें क्या-क्या हुआ 

लेखन आबिद खान
Feb 14, 2024
07:29 pm

क्या है खबर?

किसानों के दिल्ली मार्च का आज (14 फरवरी) दूसरा दिन है। आज भी पंजाब के किसान हरियाणा की सीमा में घुसने की कोशिशें कर रहे हैं। दूसरी ओर पुलिस ने भी किसानों को रोकने के लिए कड़ी तैयारियां कर रखी हैं। सीमेंट ब्लॉक्स, कंटीले तारों के साथ ही आंसू गैस और रबर बुलैट का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प की भी खबरें हैं।

किसान

24 पुलिसकर्मी, 100 किसानों को आईं चोटें

किसान संगठनों ने दावा किया है कि आज पुलिस के साथ झड़प में 100 से ज्यादा किसानों को चोटें आई हैं। कुछ किसानों के गंभीर घायल होने की खबर है। दूसरी ओर 2 DSP समेत 24 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। हरियाणा पुलिस और भाजपा नेताओं ने किसानों से कानून व्यवस्था का पालन करने और शांति बरतने की अपील की है। सीमा से सटे अस्पतालों को भी अलर्ट पर रखा गया है।

बातचीत

किसान बातचीत के लिए तैयार

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, "हमें पता चला है कि अनुराग ठाकुर ने कहा है कि वे बातचीत और हमारे मुद्दों का समाधान निकालने के लिए तैयार हैं। हम कोई जगह नहीं छोड़ना चाहते कि हमने उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है। हमारी प्राथमिकता है कि बातचीत चंडीगढ़ या विरोध स्थल के आसपास कहीं भी हो।" किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव ने भी कहा कि बातचीत के दरवाजे खुले हुए हैं।

रेल

पंजाब में रेल रोकेंगे किसान

किसान आंदोलन का असर अब रेल यातायात पर भी पड़ सकता है। किसानों को रोकने और उन पर आंसू गैस छोड़ने पर पंजाब के किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहा) ने आक्रोश जताया। संगठन ने कहा कि वो 15 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक 7 जगहों पर रेल रोकेगा। संगठन ने कहा कि अगर सरकार ने अपनी कार्रवाई कम नहीं की तो संघर्ष और तेज होगा।

बयान

राकेश टिकैत बोले- सरकार निकाले समाधान

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, "किसान बगैर बातचीत और समाधान के वापस नहीं जाएंगे। सरकार बातचीत नहीं करती है तो वह दिल्ली की तरफ तो जाएंगे ही। हमारे लिए राजधानी दिल्ली दूर नहीं है। सरकार के पास समाधान निकालने के लिए 16 फरवरी तक का समय है। किसान बात करने को तैयार हैं, लेकिन सरकार झूठ बोल रही है कि हम तैयार नहीं हैं। किसान पत्थर नहीं मारता, पत्थर मारने वाले सरकार के ही आदमी हैं।"

सीमा

दिल्ली की सीमाएं सील

प्रदर्शनकारी किसानों के रुख को देखते हुए दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ की सीमाओं को सील कर दिया गया है। टीकरी, सिंघू और गाजीपुर सीमा क्षेत्रों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 5,000 से अधिक जवानों को तैनात किया गया है। पूरे दिल्ली में धारा 144 लगाई गई है। दूसरी ओर, किसानों ने भी पूरी तैयारी कर रखी है। किसान अपने साथ 6 महीने का राशन-पानी और डीजल लेकर आए हैं।

मांग

क्या है किसानों की मांग?

किसानों की सबसे बड़ी मांग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानून बनाने की है। इसके अलावा किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय और किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे देने जैसी मांगें भी हैं।