केंद्र सरकार की 756 परियोजनाओं में देरी, सबसे ज्यादा सड़क परिवहन क्षेत्र की- रिपोर्ट
क्या है खबर?
केंद्र सरकार की करीब 756 परियोजनाओं के अपने तय समय के मुकाबले पीछे चलने की बात सामने आई है।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र से जुड़ीं कुल 769 परियोजनाओं में से 358 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। दूसरे नंबर पर रेलवे की 173 परियोजनाओं में 111 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
वहीं, तीसरे स्थान पर पेट्रोलियम क्षेत्र हैं जहां 154 परियोजनाओं में से 87 परियोजनाएं समय से पीछे चल रही हैं।
जानकारी
IPMD की रिपोर्ट में जानकारी आई सामने
इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग डिवीजन (IPMD) परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा ऑनलाइन कम्प्यूटरीकृत निगरानी प्रणाली (OCMS) पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर परियोजनाओं की निगरानी करती है।
इनमें 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की सभी बुनियादी परियोजनाएं शामिल होती हैं।
बता दें कि IPMD सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है और उसकी रिपोर्ट में परियाजनाओं में हो रही देरी की जानकारी सामने आई है।
विलंब
276 महीने की देरी से चल रही मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना
रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना में मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे लंबित परियोजना है और इसमें 276 महीने की देरी है।
वहीं, देरी के लिहाज से दूसरे स्थान पर जम्मू-कश्मीर की उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना है, जो 247 महीनों की देरी से चल रही है।
तीसरी सबसे देरी से चलने वाली परियोजना बेलापुर-सीवुड-अर्बन इलेक्ट्रिफाइड डबल लाइन परियोजना है, जो 228 महीनों की देरी से चल रही है।
बता दें कि यह आंकड़े नवंबर में जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक हैं।
जानकारी
देरी से चल रहे हैं 58 मेगा प्रोजेक्ट
कुल 756 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं जबकि पिछले महीने की रिपोर्ट में 304 परियोजनाओं में और देरी होने की बात कही गई है। बता दें कि इन 304 परियोजनाओं में से 58 मेगा प्रोजेक्ट हैं, जिनकी लागत 1,000 करोड़ रुपए से अधिक है।
लागत
देरी के कारण 6.2 प्रतिशत बढ़ी सड़क परियोजनाओं की लागत
बतौर रिपोर्ट, स्वीकृत होने पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 769 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत 4.33 लाख करोड़ रुपये थी, लेकिन देरी के कारण इसमें 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और लागत बढ़कर 4.6 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है।
गौरतलब है कि नवंबर तक इन परियोजनाओं पर 2.77 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो अनुमानित लागत का करीब 60.2 प्रतिशत है।
वृद्धि
रेलवे की परियोजनाओं की लागत में हुई 67.6 प्रतिशत की वृद्धि
भारतीय रेलवे की 173 स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत 3.72 लाख करोड़ थी, लेकिन देरी के कारण यह बढ़कर 6.24 लाख करोड़ हो गई। इन परियोजनाओं की लागत में करीब 67.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
अगर पेट्रोलियम क्षेत्र की बात करें तो 154 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत 3.81 लाख करोड़ थी, जो देरी के कारण बढ़कर 4.01 लाख करोड़ हो गई है। इनमें 5.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।