क्या भारत के लिए चिंता का कारण है पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच बना सीधा समुद्री मार्ग?
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंध पारंपरिक रूप से दोस्ताना नहीं रहे हैं। हालांकि, गत बुधवार (13 नवंबर) को कराची से एक मालवाहक जहाज बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर पहुंचा, जो 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क था। यह कदम पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच चले आ रहे कठोर संबंधों में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है। आइए जानते हैं कि यह सीधा समुद्री मार्ग क्या भारत के लिए चिंता का कारण है।
पाकिस्तान-बांग्लादेश के संबंधों में कैसे आया यह बदलाव?
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंधों में आए इस बदलाव के पीछे मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में बनी नई अंतरिम सरकार को प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस सरकार ने बांग्लादेश की सत्ता में 100 दिन पूरे कर लिए हैं। दोनों देशों के बीच यह करीबी भारत के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ था।
अंतरिम सरकार ने प्रतिबंधों में दी ढील
पाकिस्तान से यह सीधा जहाज बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा पाकिस्तानी सामानों के आयात पर लगे प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद आया है। इससे पहले ऐसे सामानों के अनिवार्य भौतिक निरीक्षण की आवश्यकता होती थी, जिससे माल आने में देरी होती थी।
बांग्लादेश के चटगांव में पहुंचा जहाज
पिछले बुधवार को जहाज 'एमवी युआन शियान फा झोंग' सीधे बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा और माल उतारने के बाद रवाना हो गया। बंदरगाह अधिकारियों के अनुसार, 182 मीटर लंबा यह जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से माल लेकर आया था, जिसमें बांग्लादेश के प्रमुख कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल और बुनियादी खाद्य पदार्थ शामिल थे। सबसे बड़ी खेप 115 कंटेनरों में कपड़ा उद्योग में काम आने वाले सोडियम कार्बोनेट (सोडा ऐश) की थी।
पहले कैसे बांग्लादेश पहुंचते थे जहाज?
ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले पाकिस्तान से आने वाले जहाहों को बांग्लादेश पहुंचने से पहले किसी तीसरे देश से होकर गुजरना पड़ता था। दोनों देशों के बीच सीधा कोई रास्ता नहीं था। इस संबंध में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ ने कहा कि बांग्लादेश के साथ सीधा समुद्री मार्ग व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस पहल से व्यापार में तेजी आने के साथ सभी व्यापारियों को बड़ा फायदा मिलेगा।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंधों में आ रही मजबूती
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना ने हमेशा पाकिस्तान से दूरी बनाए रखी और भारत से नजदीकी बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन उनके देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में बनी अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध मजबूत करने में जुटी है। यही कारण रहा कि उसने 11 सितंबर को ढाका के नेशनल प्रेस क्लब में पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की 76वीं पुण्यतिथि भी मनाई। उस कार्यक्रम में जिन्ना की प्रशंसा की गई और उन्हें दोनों देशों का राष्ट्रपिता करार दिया।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की पाकिस्तान से संबंध सुधारने के प्रयास
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ वीजा प्रक्रिया को भी सरल बनाया है। अब बांग्लादेशी नागरिक बिना वीजा के पाकिस्तान की यात्रा कर सकते हैं। बांग्लादेश ने पाकिस्तान से तोपखाना गोला-बारूद की नई आपूर्ति का भी आदेश दिया है। इसमें 40,000 राउंड गोला-बारूद, विस्फोटकों और उच्च तीव्रता वाले प्रोजेक्टाइल के लिए 40 टन RDX शामिल है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, यह ऑर्डर सामान्य से बहुत अधिक है। साल 2023 में 12,000 राउंड गोला-बारूद का ही ऑर्डर था।
बांग्लादेश ने की पाकिस्तान से परमाणु संधि की वकालत
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच मधुर होते संबंधों के बीच ढाका विश्वविद्यालय में अंतररराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डॉ शाहिदुज्जमां का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने भारत के खिलाफ सुरक्षा के तौर पर पाकिस्तान से परमाणु संधि की वकालत की थी।
पाकिस्तान-बांग्लादेश के अच्छे संबंध भारत के लिए क्यों है चिता का कारण?
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश द्वारा अनिवार्य भौतिक निरीक्षण को समाप्त करने से अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी को बढ़ावा मिल सकता है। यह भारत के लिए चिंता विषय होगा क्योंकि भारत की बांग्लादेश से जमीनी सीमा लगती है। वह अभी पाकिस्तान से सीमा से ही अवैध हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी से जूझ रहा है। इसके बाद उसे दो तरफ से यह परेशानी झेलनी पड़ेगी। यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा होगा।
बांग्लादेश के जरिए भारत के खिलाफ साजिश रच सकता है पाकिस्तान
विल्सन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन के अनुसार, भारत को दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों को लेकर चिंतित होना चाहिए। साल 2004 में भारत में आतंकवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के लिए भेजे जा रहे हथियारों की खेप को चटगांव में रोक लिया गया था, लेकिन अब यह उसके लिए आसान हो जाएगा। इससे पहले ही आतंकवाद से जूझ रहे भारत में आतंकी गतिविधियों में और भी तेजी आ सकती है।
बांग्लादेश का भारत के प्रति कैसा है रुख?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने भारत के साथ बहुत करीबी संबंध बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने गत दिनों कहा था, "दोनों देशों के बीच संबंध बहुत करीबी होने चाहिए। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्हें इसकी जरूरत है, हमें इसकी जरूरत है।" उन्होंने आगे कहा था, "दोनों देशों के बीच करीबी संबंध अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और पानी आदि के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं।"