वैक्सीनेशन अभियान में उपयोग की जा रही 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सिन' वैक्सीनों में क्या अंतर है?
क्या है खबर?
भारत में सोमवार से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन का दूसरा चरण शुरू हो गया है। इस चरण में 50 साल से अधिक उम्र के लोगों और पहले से बीमार लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।
अभी देश के वैक्सीनेशन अभियान में भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज 'कोवैक्सिन' लगवाई।
आइए आपको इन दोनों वैक्सीनों के बीच अंतर बताते हैं।
निर्माण
किन कंपनियों और संस्थानों ने बनाई हैं वैक्सीन?
सबसे पहले बात निर्माण की। 'कोविशील्ड' को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट ने फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में विकसित किया है। भारत में इसके निर्माण और ट्रायल की जिम्मेदारी SII को दी गई है जो अन्य विकासशील और गरीब देशों के लिए भी इसका निर्माण करेगी।
वहीं भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' को विकसित किया है और ये पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।
तकनीक
किस तकनीक से विकसित की गई हैं दोनों वैक्सीनें?
'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' को विकसित करने के लिए अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया है।
'कोविशील्ड' को चिंपैजी में साधारण जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस को प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल करके और इसके ऊपर कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर तैयार किया गया है।
वहीं 'कोवैक्सीन' को कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की।
ट्रायल्स और प्रभावकारिता
क्या रहे ट्रायल्स के नतीजे और कौन सी वैक्सीन कितनी प्रभावी?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 23,745 लोगों पर हुए ट्रायल में 'कोविशील्ड' को औसतन 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। भारत में भी 1,600 लोगों पर इसका तीसरे चरण का ट्रायल किया गया था और इसके नतीजे अंतरराष्ट्रीय ट्रायल के बराबर आए थे।
वहीं 'कोवैक्सिन' का तीसरे चरण का ट्रायल जारी है और अभी तक इसके नतीजे जारी नहीं किए गए हैं। इस ट्रायल में लगभग 26,000 लोग शामिल हैं और ये देश में हो रहा सबसे बड़ा ट्रायल है।
एडवांस खुराकें
किस वैक्सीन की कितनी खुराकें लगीं?
खुराकों की बात करें तो अब तक के वैक्सीनेशन अभियान में कुल 1,43,01,266 लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगाई जा चुकी है।
इनमें से 1,30,56,993 खुराकें SII की कोविशील्ड की लगाई गई हैं, वहीं कोवैक्सिन की 12,44,273 खुराकें लगाई गई हैं।
कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल पूरे न होने के कारण इसका कम उपयोग किया गया है और कई जगह स्वास्थ्यकर्मी भी इसे लगवाने से इनकार कर चुके हैं।
कीमत
किस वैक्सीन की कितनी कीमत और कितनी खुराकें खरीदी गईं?
अगर कीमत की बात करें तो भारत सरकार को कोविशील्ड 200 रुपये प्रति खुराक और कोवैक्सिन 206 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर पड़ी है।
सरकार अब तक SII से कोविशील्ड की 1.10 करोड़ खुराकें खरीद चुकी है। फरवरी में एक करोड़ खुराकों का दूसरा ऑर्डर भी दिया गया है।
वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की 55 लाख खुराकें खरीदी जा चुकी हैं और 45 लाख खुराकों का दूसरा ऑर्डर दिया गया है।
जानकारी
दोनों वैक्सीनों में एक समानता भी
इन सभी अंतरों के बीच 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' में एक समानता भी है और यह समानता इनकी खुराकों से संबंधित है। दरअसल, दोनों वैक्सीनों दो खुराक वाली हैं और दोनों की दो खुराकों के बीच चार हफ्ते का अंतर है।