DCGI की अपील के बाद भी फाइजर ने नहीं किया वैक्सीन के लाइसेंस के लिए आवेदन
भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ तेजी से चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में वैक्सीनों की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे में सरकार अन्य वैक्सीनों को भी मंजूरी देने में लगी है। इसको लेकर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर को भी अपनी वैक्सीन के भारत में उपयोग के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करने को कहा है, लेकिन कंपनी ने अभी तक आवेदन नहीं किया। यह भारत के प्रयासों में बड़ा झटका है।
DCGI ने फाइजर को दो बार लिखा पत्र
टाइम्स नाऊ के अनुसार, DCGI ने अमेरिकी कंपनी फाइजर को दो बाद पत्र लिखकर कहा है कि वह भारत में अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए आवश्यक लाइसेंस लेने के लिए जल्दी से आवदेन करे। इससे वह प्रक्रिया को आगे बढ़ा सके। इसके बाद भी कंपनी ने इसमें कोई दिचलस्पी नहीं दिखाई है और आवेदन नहीं किया। ऐसे में भारत में चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में फाइजर की वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है।
AIIMS निदेशक ने किया था फाइजर से अंतिम चरण की बातचीत होने का दावा
यह रिपोर्ट दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया द्वारा फाइजर से अंतिम चरण की बातचीत होने के दावे के एक दिन बाद सामने आई है। गुलेरिया ने कहा था कि फाइजर से बातचीत अंतिम चरण में है और जल्द ही समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके बाद जल्द ही देश में वैक्सीनेशन अभियान में फाइजर की वैक्सीन का भी इस्तेमाल हो सकेगा। यह भारत के लिए बड़ी राहत होगी।
फाइजर के CEO ने भी जताई थी उम्मीद
बता दें कि जून की शुरुआत में फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अल्बर्ट बोर्ला ने भी कहा था कि कंपनी भारत में अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी हासिल करने के अंतिम चरण में है। सरकार से वार्ता जारी है।
फाइजर के आवेदन नहीं करने के पीछे यह माना जा रहा है कारण
दरसअल, फाइजर ने वैक्सीन आपूर्ति के लिए कानूनी पचड़ों से सुरक्षा मांगी है और इस संबंध में उसने एक दस्तावेज भी भारत सरकार को सौंप रखा है। इसमें कहा गया है कि वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद कोई भी कानूनी विवाद होने पर मामले की सुनवाई अमेरिका में ही होनी चाहिए। इसी तरह ब्रिजिंग ट्रायल से भी छूट मांगी गई थी। इसमें सरकार ने ट्रायल से छूट तो दे दी, लेकिन कानूनी विवाद वाले मसले पर अभी फैसला बाकी है।
95 प्रतिशत प्रभावी मिली थी फाइजर की वैक्सीन
बता दें कि पिछले साल नवंबर में आए इंसानी ट्रायल के अंतिम चरण के नतीजों में फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोनटेक की इस वैक्सीन को 95 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। इसी तरह द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार इस वैक्सीन की एक खुराक 65 वर्ष से अधिक उम्र वालो पर 60 प्रतिशत प्रभावी है।
अल्फा और बीटा वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी रही है वैक्सीन
मई में सामने आए दो अध्ययनों के अनुसार वैक्सीन यूनाइटेड किंगम में पहली बार मिले 'अल्फा' और दक्षिण अफ्रीका में मिले 'बीटा' वेरिएंट के खिलाफ गंभीर बीमार होने या मृत्यु के खतरे को 95 प्रतिशत कम करने वाली पाई गई थी।
भारत में चार वैक्सीनों को दी जा चुकी है मंजूरी
बता दें कि भारत में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत होने से पहले ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक द्वारा तैयारी 'कोवैक्सिन' को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। उसके बाद सरकार ने अप्रैल में रूस की 'स्पूतनिक-V' और 29 जून को अमेरिका की मॉडर्ना की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। ऐसे में भारत में वर्तमान में वैक्सीनेशन अभियान में चार वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।