क्या भारत में खत्म हो गई है कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर?
देशभर में हाहाकार मचाने वाली कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप अब धीरे-धीरे थमता जा रहा है। यही कारण है कि प्रतिदिन सामने आने वाले संक्रमण के मामले और मृतकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इतना ही नहीं, भारत में पिछले 15 दिनों से टेस्ट पॉजिटिविटी रेट भी पांच प्रतिशत से कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में दूसरी लहर खत्म हो गई है? हालांकि, विशेषज्ञ अभी घोषणा करने से बच रहे हैं।
भारत में सोमवार को सामने आए 42,640 नए मामले
भारत में दूसरी लहर के थमते प्रकोप का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सोमवार को देश में संक्रमण के 42,640 नए मामले सामने आए हैं। जो 91 दिनों के बाद सबसे कम है। इस दौरान टेस्ट पॉजिटिविटी रेट भी 3.21 प्रतिशत रही है। इसी तरह मृतकों की संख्या में भी कमी आई है। पिछले दिन 1,167 लोगों की मौत हुई है। ऐसे में लग रहा है कि अब देश से दूसरी लहर का प्रकोप खत्म हो रहा है।
WHO के अनुसार क्या है खतरा खत्म होने का गणित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) यदि किसी देश या क्षेत्र में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट लगातार 14 दिनों तक पांच प्रतिशत के कम हो तो उसे सुरक्षित श्रेणी में माना जाता है। ऐसे में भारत ने यह मील का पत्थर हासिल कर लिया है।
विशेषज्ञों ने दी अभी भी सावधानी बरतने की सलाह
देश में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट के लगातार 15 से पांच प्रतिशत से कम होने के बाद भी चिकित्सा विशेषज्ञ लहर के खत्म होने की घोषणा को लेकर सावधानी बरतने की कह रहे हैं। दिल्ली-NCR में शिव नादर यूनिवर्सिटी और स्कूल ऑफ नेचुरल साइंसेज (SoNS) के एसोसिएट प्रोफेसर नागा सुरेश वीरापू ने कहा कि भारत में दूसरी लहर अंत की ओर है, लेकिन वायरस के डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के चलते इसकी घोषणा करना जल्दबाजी होगी।
भारत में डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट ने मचाई भारी तबाही
भारत में दूसरी लहर में वायरस के डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट ने भारी तबाही मचाई है। डेल्टा प्लस वेरिएंट का निर्माण डेल्टा या B.1.617.2 वेरिएंट के म्यूटेशन के कारण हुआ है। डेल्टा प्लस वेरिएंट पहली बार भारत में ही सामने आया है। इसके बाद यह UK सहित कई अन्य देशों के लोगों में भी पाया गया था। ऐसे में वायरस के लगातार होते म्यूटेशन के कारण दूसरी लहर का असर अभी पूरी तरह खत्म नहीं माना जा सकता है।
थोड़ी सी लापरवाही से फिर से बढ़ सकते हैं मामले- वीरापू
वीरापू ने कहा कि दूसरी लहर के खात्मे की घोषणा में जल्दबाजी से मामलों में उछाल आ सकता है। फरवरी में भी देश में पहली लहर के खात्मे का जश्न मना रहा था, लेकिन थोड़ी से अनदेखी ने देश को दूसरी लहर की आग में झोक दिया। उन्होंने कहा कि मार्च में सामने आया डेल्टा वेरिएंट देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गया और हालात बिगड़ गए। पहली लहर के अंत में भी टेस्ट पॉजिटिविटी रेट एक प्रतिशत थी।
अभी भी बना हुआ खतरा- लहरिया
सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि भले ही संक्रमण के मामलों में गिरावट आ रही है, लेकिन मामले की कुल संख्या अभी भी बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर टेस्ट पॉजिटिविटी रेट में कमी आई है, लेकिन अभी कई जिले ऐसे हैं जहां यह पांच प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। ऐसे में देश में सभी जगहों पर टेस्ट पॉजिटिविटी रेट कम होने पर ही दूसरी लहर के खतरे को कम आंका जा सकता है।
केरल में अभी भी बिगड़े हुए हैं हालात- मेनन
हरियाणा की अशोक यूनिवर्सिटी में भौतिकी और जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ गौतम मेनन ने कहा कि केरल जैसे राज्यों में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट के पांच प्रतिशत से अधिक है। केरल में यह 10.84 प्रतिशत पर है। ऐसे में अभी इंतजार करना चाहिए।
राज्यों को सावधानी के साथ देनी चाहिए लॉकडाउन में ढील- मेनन
मेनन ने कहा कि भारत में संक्रमण के मामलों में गिरावट काफी नाटकीय रही है। हालांकि, वर्तमान में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक गिरावट देखी जा रही है। यह राहत की बात है। उन्होंने आगे कहा किसी भी लहर की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है कि वह कब खत्म होगी, लेकिन वर्तमान स्थिति में लॉकडाउन में ढील देने का सही समय है। हालांकि, राज्यों को ढील के साथ विशेष सावधानी बरतनी होगी और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराना होगा।
भारत जैसे बड़े देश में नहीं बरती जा सकती है लापरवाही- लहरिया
लहरिया ने कहा, "हमें यह याद रखने की जरूरत है कि भारत जैसे बड़े देश में स्थानीय स्तर पर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत है। कोरोना महामारी केवल सांस की बीमारी नहीं है और यहां निर्णय लेने के मानदंड सरल नहीं हो सकते है।" उन्होंने आगे कहा, "नए वेरिएंट अधिक संक्रामक हैं और लोगों का व्यवहार इसके प्रसार को निर्धारित करता है। इसलिए दूसरी लहर के खात्मे की घोषणा करना या नहीं करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा है।"
"क्या हम बिगड़ेे हालातों का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं"
लहरिया ने कहा, "सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हम हालात बिगड़ने पर उसे संभालने के लिए तैयार हैं। यदि हां तो हम दूसरी लहर के खात्मे की घोषणा कर सकते हैं, अन्यथा हमले आने वाले संभावित खतरे की तैयारी पर ध्यान देना चाहिए।"
संक्रमण और मौतों के आंकड़ों में विषमता भी है बड़ी चिंता
मेनन ने कहा कि संक्रमण के मामलों और मौतों के आंकड़ों की सटीकता भी चिंता का विषय है। मीडिया और अन्य रिपोर्टों के अनुसार मौतों को गंभीर रूप से कम करके आंका गया है। उन्होंने आगे कहा कि ये रिपोर्ट राज्यों को आंकड़ों को सही करने के लिए प्रेरित करेगी। लहरिया ने कहा कि महामारी से पहले भी पंजीकृत मौतों में से केवल एक-चौथाई मौतों कारणों को प्रमाणित किया जाता था। ऐसे में महामारी के दौर में यह संभव है।
वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाने की है जरूरत- वीरापू
वीरापू ने कहा कि बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले लोग जांच कराने नहीं पहुंच रहे हैं। इस तरह के लोग भी संक्रमण को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में सरकार को महामारी की दूसरी लहर के खात्मे की घोषणा से पहले वैक्सीनेशन अभियान गति देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान में तेजी से लोगों को वैक्सीन मिलेगी और भविष्य का खतरा कम हो जाएगा। इसी तरह सरकार को पहले चिकित्सा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करना चाहिए।