कोरोना वायरस महामारी ने किस तरह से घरेलू बचत, जमा और ऋण को प्रभावित किया?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले सप्ताह घरेलू वित्तीय बचत का अपना प्रारंभिक अनुमान जारी किया था। उसके अनुसार कोरोना वायरस महामारी से बैंक जमा, पेंशन राशि, जीवन बीमा कोष और नकद जमा में भारी गिरावट आई है। इसी तरह RBI ने 20 करोड़ परिवारों के कर्ज में इजाफा होने का भी अनुमान लगाया है। इसके अलावा जून से दिसंबर 2020 के बीच बैंक जमा में भी 45 प्रतिशत की गिरावट आई है। यहां जानते हैं विस्तृत विश्लेषण।
कोरोना महामारी के कारण घरेलू आर्थिक बचत में आई बड़ी गिरावट
RBI के अनुसार महामारी की शुरुआत में 2020-21 की पहली तिमाही में घरेलू वित्तीय बचत में उछाल आया था, लेकिन अगल दो तिमाहियों में इसमें गिरावट देखने को मिली। सितंबर में खत्म हुई तिमाही में घरेलूत बचत GDP का 10.4 प्रतिशत रही थी, वहीं जून में खत्म हुई तिमाही में यह 21 प्रतिशत थी। इसी तरह तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में यह 8.2 प्रतिशत पर ही आ गई। इसने लोगों को विशेष तौर पर प्रभावित किया है।
परिवारों की आर्थिक संपत्ति में आई गिरावट
RBI के अनुसार, पिछले साल की तीसरी तिमाही में परिवारों की आर्थिक संपत्ति बड़ी गिरावट के साथ 4,44,583 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 4,91,906 करोड़ रुपये था, वहीं अप्रैल-जून तिमाही में 8,15,886 करोड़ रुपये था।
बैंक जमा में भी दर्ज की गई है बड़ी गिरावट
कोरोना महामारी के कारण लोगों के बैंक जमा में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। RBI के अनुसार, दिसंबर तिमाही में बैंक जमा का GDP में अनुपात गिरकर 3.0 प्रतिशत पर आ गया है। सितंबर तिमाही में यह अनुपात 7.7 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि सितंबर तिमाही में बैंक जमा 3,67,264 करोड़ रुपये था जो दिसंबर में 1,73,042 करोड़ रुपये पर आ गया। इससे बैंकों को भी भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।
बैंक जमा में कमी का यह रहा है बड़ा कारण
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार बैंकिंग विश्लेषकों का मानना है कि बैंक जमा में कमी का सबसे बड़ा कारण महामारी में रोजगार की कमी के चलते मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोगों का बैंकों से पैसा निकालना रहा है। जनवरी-मार्च 2020 में बैंक जमा राशि 4,55,464 करोड़ रुपये थी, जो अप्रैल-जून में गिरकर 1,25,848 पर आ गई। इससे साफ है कि महामारी के प्रकोप बढ़ने के साथ ही बैंक जमा में गिरावट आना शुरू हो जाता है।
परिवारों के पास मौजूद नकदी में देखने को मिला बड़ा उतार-चढ़ाव
RBI के अनुसार, कोरोना महामारी के कारण परिवारों के पास मौजूद नकदी में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। अप्रैल-जून तिमाही में जहां घरेलू नकदी 2,06,889 करोड़ रुपये थी, वहीं जुलाई-सितंबर तिमाही में यह घटकर 17,225 करोड़ रुपये हो गई। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इसमें एक बार फिर से उछाल देखने को मिला है और यह बढ़कर 91,456 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इससे साफ है कि महामारी के उतार-चढ़ाव का व्यापक प्रभाव रहा है।
लॉकडाउन के बाद लोगों के पास बढ़ी नकदी
सरकार द्वारा पिछले साल मार्च में लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद मार्च और जून के बीच लोगों के पास नकदी में 3.07 लाख करोड़ रुपये का इजाफा देखने को मिली। इसके कारण 19 जून, 2020 को सप्ताह हुए पखवाड़े में परिवारों के पास कुल नकदी 22.55 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 25.62 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। RBI के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में लोगों के पास कुल नकदी 28.78 लाख करोड़ रुपये है।
कोरोना महामारी के कारण बीमा उद्योग में भी देखने को मिला बदलाव
कोरोना महामारी के कारण बीमा उद्योग में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अप्रैल और मई 2020 में जीवन बीमा कंपनियों की नई व्यावसायिक प्रीमियम आय में 27.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि, पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के लिए प्रीमियम आय में सुधार हुआ और इसमें 7.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वित्त वर्ष 2020 की मार्च तिमाही में परिवारों का जीवन बीमा कोष घटकर 33,549 करोड़ रुपये ही रह गया था।
महामारी में बढ़ती मौतों के साथ हुआ जीवन बीमा कोष में इजाफा
कोरोना महामारी में जैसे-जैसे मौतों का ग्राफ बढ़ा, वैसे ही जीवन बीमा कोष में इजाफा देखने को मिला। जून तिमाही में यह कोष 33,549 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,23,324 करोड़, सितंबर तिमाही में 1,42,422 करोड़ और वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही में यह 1,56,320 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके चलते जीवन बीमा उद्योग ने पिछले वित्तीय वर्ष में कारोबार में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की। चालू वित्तीय वर्ष में यह बढ़ोतरी 17 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
कोरोना महामारी के कारण इक्विटी में घरेलू निवेश में आई गिरावट
अप्रैल 2020 की शुरुआत में सेंसेक्स 28,265 से बढ़कर अब 52,000 से ऊपर होने के साथ शेयर बाजारों में लगातार सुधार देखने को मिला है। मार्च में गिरावट और अप्रैल 2020 की शुरुआत के बाद बाजार में तो सुधार हुआ, लेकिन इक्विटी में घरेलू निवेश में गिरावट आई। जून तिमाही में इक्विटी होल्डिंग बढ़कर 18,599 करोड़ रुपये हो गई थी, लेकिन सितंबर में घटकर 8,291 करोड़ रुपये और दिसंबर में 5,307 करोड़ रुपये रह गई।
छोटी बचत योजनाओं पर नहीं पड़ा कोई फर्क
वित्त वर्ष 2021 की तीन तिमाहियों में डाकघर और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र जैसी छोटी बचत योजनाओं में घरेलू बचत 75,879 करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित रही। इसका प्रमुख कारण यह रहा कि इनमें से अधिकांश योजनाओं में लॉक-इन अवधि की होती है।
घरेलू ऋण से GDP अनुपात में हो रहा इजाफा
RBI के अनुसार, घरेलू ऋण से GDP अनुपात, जो चुनिंदा वित्तीय साधनों पर आधारित है, मार्च 2019 के अंत से लगातार बढ़ रहा है। यह दिसंबर 2020 के अंत में 37.9 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 के अंत में 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। बैंकिंग क्षेत्र के लिए परिवारों का ऋण 2020 की जून तिमाही में 1,38,472 करोड़ रुपये घटा था, लेकिन दिसंबर में बढ़कर 2,18,216 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। महामारी का यह बड़ा असर रहा है।