चीन की कोरोना वैक्सीनों पर निर्भर देशों में अधिक वैक्सीनेशन के बावजूद बढ़ रहे मामले
चीनी कोरोना वायरस वैक्सीनों पर निर्भर देशों को बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के बावजूद संक्रमण में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है और यहां लगातार नए मामले बढ़ रहे हैं। इन देशों में मंगोलिया, बहरीन, चिली और सेशेल्स जैसे देश शामिल हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों में संक्रमण के मामले आशंका उत्पन्न करते हैं कि चीनी वैक्सीनें वायरस, खासकर नए वेरिएंट्स, का प्रसार रोकने में उतनी प्रभावी नहीं हैं।
आधी से अधिक आबादी को चीनी वैक्सीन की दोनों खुराकें लगा चुके हैं ये देश
'आर वर्ल्ड इन डाटा' के अनुसार, सेशेल्स, चिली, बहरीन और मंगोलिया में 50 से 68 प्रतिशत आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है और यहां पर ज्यादातर चीनी वैक्सीनों का इस्तेमाल हुआ है। इसके बावजूद ये सभी देश पिछले हफ्ते सबसे खराब आउटब्रेक दर्ज करने वाले शीर्ष 10 देशों में रहे। इसके अलावा इन देशों में वैक्सीन की दोनों खुराकें लगावा चुके लोगों के संक्रमित होने के मामले भी बड़ी संख्या में सामने आए हैं।
सेशेल्स में प्रति 10 लाख लोगों पर सामने आ रहे 716 नए मामले
चीनी और अन्य देशों की वैक्सीनों की प्रभावशीलता में अंतर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां अपनी 57 प्रतिशत से अधिक आबादी को फाइजर वैक्सीन से वैक्सीनेट कर चुके इजरायल में अभी हर 10 लाख लोगों पर 4.95 नए मामले सामने आ रहे हैं, वहीं लगभग 68 प्रतिशत आबादी का चीन की सिनोफार्म वैक्सीन से वैक्सीनेशन कर चुके सेशेल्स में यह आंकड़ा प्रति 10 लाख लोगों पर 716 नए मामलों का है।
मंगोलिया में एक महीने में चार गुने हुए दैनिक मामले
इसी तरह चीनी वैक्सीनों पर निर्भर मंगोलिया अभी तक अपनी 52 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराकें लगा चुका है, इसके बावजूद देेश में पिछले एक महीने में दैनिक मामले चार गुने हो चुके हैं और रविवार को यहां 2,400 नए मामले सामने आए।
इंडोनेशिया में दोनों खुराकें लगवाने के बावजूद 350 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित
अन्य देशों की बात करें तो चीनी वैक्सीन साइनोवैक की दोनों खुराकें लगवा चुके इंडोनेशिया के 350 से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इसके अलावा तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने से पहले ही सिनोफार्म वैक्सीन को मंजूरी देने वाले बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भी वैक्सीन की दोनों खुराकें लगवा चुके लोगों के संक्रमित होने के मामले बड़ी संख्या में सामने आए हैं।
चीनी वैक्सीन इस्तेमाल कर रहे देशों पर अधूरी सुरक्षा का खतरा
यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के वायरोलॉजिस्ट जिन डोन्गयान ने कहा, "अगर वैक्सीनें प्रभावी हैं तो ऐसा नहीं होना चाहिए।" विशेषज्ञों के अनुसार, चीन और अन्य 90 से अधिक देश जो चीनी वैक्सीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके पूरी आबादी का वैक्सीनेशन करने के बावजूद वायरस से अधूरी सुरक्षा का खतरा बना हुआ है और उन्हें आने वाले कई महीनों और सालों तक लॉकडाउन, टेस्टिंग और दैनिक गतिविधियों पर पाबंदियों जैसी परेशानियों से जूझना पड़ सकता है।
चीन ने किया अपनी वैक्सीनों का बचाव
इन सवालों के बीच चीन ने अपनी वैक्सीनों का बचाव किया है। अपने एक बयान में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी वैक्सीनों और नए मामलों के बीच कोई संबंध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बयान का हवाला देते हुए उसने कहा कि इन देशों में वैक्सीनेशन अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचा है कि नए मामले सामने आना बंद हो जाएं। इसके अलावा सेशेल्स और मंगोलिया ने भी सिनोफार्म का बचाव किया है।
पहले भी उठते रहे हैं चीनी वैक्सीनों पर सवाल
बता दें कि चीनी वैक्सीनों की प्रभावशीलता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। यूं तो इंसानी ट्रायल में सिनोफार्म को 78.1 प्रतिशत और साइनोवैक को 51 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था, लेकिन चीन ने इन ट्रायल्स से संबंधित अधिक डाटा सार्वजनिक नहीं किया है। इसके अलावा वैक्सीनेशन के बावजूद संक्रमण के मामलों की जानकारी भी साझा नहीं की गई है और इस कारण ज्यादातर देशों को इन वैक्सीनों पर बहुत अधिक भरोसा नहीं है।