BBC डॉक्यूमेंट्री: स्क्रीनिंग को लेकर हुए बवाल की जांच के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बनाई समिति
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर हुए बवाल की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। यूनिवर्सिटी की प्रोक्टर रजनी अब्बी की अध्यक्षता में बनी इस समिति 30 जनवरी की शाम 5 बजे तक वाइस चांसलर योगेश सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। यूनिवर्सिटी की तरफ से कहा गया है कि यह समिति अनुशासन लागू करवाने और कैंपस में कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए गठित की गई है।
शुक्रवार को यूनिवर्सिटी में हुआ था बवाल
शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल हुआ था। कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) समेत कई छात्र संगठनों ने नॉर्थ कैंपस की आर्ट फैकल्टी के बाहर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इसे लेकर NSUI ने प्रदर्शन का ऐलान किया था। इसे देखते हुए पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी और कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया गया।
ये हैं समिति के सदस्य
सात सदस्यीय समिति में प्रोक्टर के अलावा कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार सिंह, प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह, सोशल वर्क विभाग के प्रोफेसर संजॉय रॉय, हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर रामा, किरोड़ीमल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर दिनेश खट्टर और मुख्य सुरक्षा अधिकारी गजे सिंह शामिल हैं। यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यह समिति 27 जनवरी को आर्ट फैकल्टी और चार नंबर गेट के बाहर हुई घटनाओं की जांच करेगी।
हिरासत में लिए गए थे 24 छात्र
शुक्रवार को आर्ट फैकल्टी के बाहर से NSUI से जुड़े 24 छात्रों को हिरासत में लिया गया था और सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए थे। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दावा किया है कि बाहरी लोग डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की कोशिश कर रहे थे और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को बुलाया गया। इससे पहले DU के ही अंबेडकर कॉलेज में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर दो अलग-अलग विचारधाराओं के छात्र संगठन आमने-सामने आ गए थे।
इन यूनिवर्सिटीज में भी की गई डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग
दिल्ली यूनिवर्सिटी के अलावा दिल्ली और देशभर की कई अन्य यूनिवर्सिटीज में BBC की इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई है। दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और जामिया मिलिया इस्लामिया में स्क्रीनिंग की गई, जिस दौरान बवाल भी हुआ। इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी में भी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई है। कांग्रेस ने भी केरल में समुद्र किनारे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। केंद्र सरकार के डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद ये स्क्रीनिंग की गई है।
डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की इस डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से में 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी और राज्य सरकार के संरक्षण में विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया था।
सरकार का डॉक्यूमेंट्री पर क्या कहना है?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरूवार को डॉक्यूमेंट्री से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए इसे प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि यह एक प्रोपेगेंडा सामग्री है, जिसे एक विशेष बदनाम नेरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट दिखाई दे रही है।" उन्होंने कहा था कि यह डॉक्यूमेंट्री, जिस एजेंसी ने इसे बनाया है, उसकी मानसिकता दर्शाती है।