BBC डॉक्यूमेंट्री: स्क्रीनिंग पर अड़े दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र, पुलिस ने लगाई धारा 144
क्या है खबर?
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर अड़ गए हैं।
कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) समेत कई छात्र संगठनों ने आज नॉर्थ कैंपस की आर्ट फैकल्टी के बाहर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन ने इसकी मंजूरी नहीं दी। NSUI इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है।
पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है। कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया है।
स्क्रीनिंग
अंबेडकर कॉलेज में स्क्रीनिंग को लेकर आमने-सामने आए दो छात्र संगठन
इससे पहले DU के ही अंबेडकर कॉलेज में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर दो अलग-अलग विचारधाराओं के छात्र संगठन आमने-सामने आ गए।
स्क्रीनिंग के समर्थन छात्रों ने आजादी के नारे लगाए, वहीं उनका विरोध करते हुए दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के सदस्यों ने 'जय श्रीराम' के नारे लगाए।
स्क्रीनिंग को रोकने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी बिजली काट दी, जिसके बाद वामपंथी छात्र संगठनों ने मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री देखी। स्क्रीनिंग के लिए छात्रों में QR कोड बांटे गए।
अन्य यूनिवर्सिटीज
इन यूनिवर्सिटीज में भी की गई डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग
DU के अलावा दिल्ली और देशभर की कई अन्य यूनिवर्सिटीज में BBC की इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई है।
दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और जामिया मिलिया इस्लामिया में स्क्रीनिंग की गई, जिस दौरान बवाल भी हुआ।
इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी में भी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई है। कांग्रेस ने भी केरल में समुद्र किनारे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की।
केंद्र सरकार के डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद ये स्क्रीनिंग की गई है।
विवाद
डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की इस डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से में 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है।
इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी और राज्य सरकार के संरक्षण में विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया था।
मसला
सरकार का डॉक्यूमेंट्री पर क्या कहना है?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरूवार को डॉक्यूमेंट्री से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए इसे प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया था।
उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि यह एक प्रोपेगेंडा सामग्री है, जिसे एक विशेष बदनाम नेरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट दिखाई दे रही है।"
उन्होंने कहा था कि यह डॉक्यूमेंट्री, जिस एजेंसी ने इसे बनाया है, उसकी मानसिकता दर्शाती है।