दिल्ली: मुख्य सचिव को बदलने की तैयारी, केजरीवाल सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव; जानिए वजह
क्या है खबर?
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच नौकरशाहों पर नियंत्रण को लेकर चल रही खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के वर्तमान मुख्य सचिव को बदलने की तैयारी में है।
केजरीवाल ने गुरुवार को इसे लेकर उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र से सहमति मांगी है। उन्होंने नरेश कुमार की जगह पीके गुप्ता को मुख्य सचिव बनाने का प्रस्ताव रखा है।
आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है।
मामला
CSB की बैठक में नहीं पहुंचे थे मुख्य सचिव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच नौकरशाहों के ट्रांसफर का मामला फंसा हुआ है। दिल्ली सरकार के सेवा सचिव आशीष मोरे के ट्रांसफर आदेश पर भी अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मंगलवार को सिविल सेवा बोर्ड (CSB) में ट्रांसफर आदेश को लेकर निर्णय होना था, लेकिन इस बैठक में मुख्य सचिव नहीं पहुंचे।
इसके बाद आज सरकार ने मुख्य सचिव को बदलने का प्रस्ताव भेजा है।
दिल्ली
कुमार की शराब नीति मामला उजागर करने में रही अहम भूमिका
दिल्ली के कथित शराब नीति घोटाले में मुख्य सचिव नरेश कुमार की अहम भूमिका रही। पिछले साल जुलाई में उन्होंने ही उपराज्यपाल को एक अहम रिपोर्ट सौंपी थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति में बदलाव किए और शराब विक्रेता लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
उपराज्यपाल ने इस रिपोर्ट के आधार पर ही मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग की सिफारिश की थी।
नरेश
कौन हैं नरेश कुमार?
कुमार 1987 बैच के IAS के अधिकारी हैं। 21 अप्रैल, 2022 को उन्हें दिल्ली सरकार का मुख्य सचिव बनाया गया था। इससे पहले वह अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव का पदभार संभाल रहे थे।
अरुणाचल प्रदेश में तैनाती से पहले कुमार नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) के चेयरमैन और दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) के प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
वह इस साल के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
फैसला
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे। कोर्ट ने कहा कि सेवाओं पर केंद्र सरकार का नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार का अपने अधीन अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो वो ठीक से काम नहीं करेंगे और सरकार की बात नहीं मानेंगे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करना होगा।