दिल्ली: LG ने सरकार के प्रतिनिधियों को बिजली कंपनियों के बोर्ड से हटाया, तनाव के आसार
क्या है खबर?
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने केजरीवाल सरकार की तरफ निजी बिजली वितरण कंपनियों के बोर्ड में नामित दो सदस्यों को हटा दिया है। इससे दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रहा तनाव और बढ़ सकता है।
बिजली विभाग ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (AAP) प्रवक्ता जैस्मीन शाह और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन एनडी गुप्ता को हटाने के आदेश जारी किया है। इनकी जगह सरकारी अधिकारियों को बोर्ड में जगह दी गई है।
बया
विभाग ने नियुक्ति को बताया गैरकानूनी
विभाग ने कहा है कि बिजली कंपनियों के बोर्ड में इन दोनों की नियुक्ति गैरकानूनी थी।
बता दें, दिल्ली के मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि इन नामित व्यक्तियों ने निजी कंपनियों को आर्थिक लाभ पहुंचाया है। इसके बाद उपराज्यपाल सक्सेना ने इन दोनों को हटाने के आदेश जारी किए थे।
आदेश में कहा गया है कि दोनों ने अनिल अंबानी की बिजली कंपनी को 8,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया है।
बदलाव
सरकारी अधिकारी लेंगे जगह
LG ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली ट्रांसको के महानिदेशक और बिजली सचिव, वित्त सचिव अब अंबानी और टाटा के नियंत्रण वाली इन कंपनियों में सरकार का प्रतिनिधिनत्व करेंगे। शीला दीक्षित के कार्यकाल से ही यह व्यवस्था चली आ रही है।
बता दें कि निजी बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है और सरकार का पक्ष रखने के लिए इनके बोर्ड में प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं।
प्रतिक्रिया
AAP ने LG के आदेश को बताया गैरकानूनी
सरकार की तरफ से नामित व्यक्तियों को बोर्ड से हटाने के उपराज्यपाल के फैसले को AAP ने अवैध और असंवैधानिक बताया है।
AAP की तरफ से कहा गया है कि बिजली वितरण कंपनियों के बोर्ड से जैस्मीन शाह और नवीन गुप्ता को हटाने का LG का आदेश असंवैधानिक हैं। LG के पास ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है। केवल चुनी हुई सरकार ही बिजली को लेकर आदेश दे सकती है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक है।
संभावना
बढ़ेगा AAP और LG के बीच तनाव?
इस घटनाक्रम से दिल्ली सरकार और LG के बीच चल रहा तनाव और बढ़ना तय माना जा रहा है।
बता दें कि वीके सक्सेना के उपराज्यपाल बनते ही उनके और दिल्ली सरकार के बीच तनाव शुरू हो गया था। कई मौकों और मुद्दों को लेकर दोनों आमने-सामने आ चुके हैं।
दिल्ली सरकार का आरोप है कि उपराज्यपाल केंद्र सरकार के इशारे पर उसके कामों में अड़ंगा डालते हैं। वहीं उपराज्यपाल अपने बचाव में नियमों का हवाला देते हैं।