कौन हैं राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले दलित नेता जिन्हें मिली ट्रस्ट में जगह?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद में राम मंदिर निर्माण के लिए 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट बनाने की घोषणा की थी। इस ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे, जिनमें से कई के नाम सामने आ चुके हैं। इन नामों में एक नाम बिहार के दलित भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल का है। कामेश्वर वही शख्स हैं जिन्होंने तीन दशक पहले राम मंदिर के नींव की पहली ईंट रखी थी। आइए उनके जीवन का एक संक्षिप्त विवरण जानते हैं।
मिथिला इलाके से आते हैं कामेश्वर
कामेश्वर चौपाल बिहार के मिथिला इलाके के सुपौल जिले के रहने वाले हैं। हिंदू धर्म में मिथिला को माता सीता का घर माना जाता है। कामेश्वर की शुरूआती शिक्षा मधुबनी जिले से हुई और यहीं से वो राष्ठ्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संपर्क में आए थे। ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद कामेश्वर ने खुद को पूरी तरह RSS के प्रति समर्पित कर दिया और उन्हें मधुबनी का जिला प्रचारक बनाया गया।
इस घटना के बाद मजबूत हुआ राम मंदिर निर्माण का प्रण
इसी दौरान कामेश्वर ने तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में 800 दलितों के इस्लाम स्वीकार करने की खबर सुनी। उनके अनुसार, ये खबर सुनने के बाद राम मंदिर को लेकर उनकी इच्छा और मजबूत हो गई और उन्होंने मंदिर निर्माण में सहयोग की बात ठान ली।
1989 में रखी राम मंदिर की नींव की पहली ईंट
इसके बाद कामेश्वर ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) और RSS के राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और एक सक्रिया भूमिका निभाई। उनके इसी योगदान का असर था जब 9 नवंबर, 1989 को VHP और RSS ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखने का फैसला लिया तो इसकी पहली ईंट कामेश्वर से रखवाई गई। शिलान्यास कार्यक्रम में कामेश्वर VHP प्रमुख अशोक सिंघल के ठीक बगल में बैठे।
कामेश्वर को पहले से नहीं पता था कि वो ही रखेंगे नींव
राम मंदिर की पहली ईंट उनसे रखवाई जाएगी, इसकी जानकारी कामेश्वर को पहले से नहीं थी। दरअसल, कामेश्वर बिहार के छोटा नागपुर इलाके के कारसेवकों के एक छोटे से जत्थे के साथ उस समय अयोध्या आए हुए थे। 9 नवंबर की सुबह सिंघल का एक सहयोगी कामेश्वर के पास आया और बताया कि राम मंदिर की पहली ईंट उन्हें रखनी है। एक दलित नेता से शिलान्यास कराके RSS और VHP जातिवाद के खिलाफ एक बड़ा संदेश देना चाहते थे।
कामेश्वर बोले- मेरे आनंद का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता
अब इस शिलान्यास के 31 साल बाद कामेश्वर को राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट का हिस्सा बनाया गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, "ये जानकर कि रामलला के लिए मंदिर बनेगा, मुझे जो आनंद हो रहा है इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता।" उन्होंने समाज के सभी वर्गों से धर्म, जाति और संप्रदाय से परे मंदिर निर्माण के लिए आगे आने और इसका समर्थन देने का आग्रह किया।
"अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो वो यही बात कहते"
कामेश्वर ने कहा, "अगर महात्मा गांधी आज जिंदा होते तो उन्होंने भी यही बात कही होती। उन्होंने 'राम राज' की बात की थी। भगवान राम को समर्पित एक मंदिर बनने के बाद ही 'राम राज' की कोई बात हो सकती है।"
राजनीति में भी हाथ आजमा चुके हैं कामेश्वर
कामेश्वर राजनीति के मैदान में भी अपना हाथ आजमा चुके हैं। सबसे पहली बार वो 1991 में भाजपा की टिकट पर रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1995 बिहार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य फिर से आजमाया, लेकिन एक बार फिर उनकी हार हुई। 2002 में उन्हें बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया गया और वो दो कार्यकाल तक यहां रहे।
2014 लोकसभा चुनाव में भी हार गए थे कामेश्वर
कामेश्वर ने 2014 लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी। वो भाजपा की टिकट पर सुपौल से मैदान में उतरे, लेकिन मोदी लहर के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वो भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं।