दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार, कहा- बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए जल्द बनाई जाएगी नीति
कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच लोगों में बच्चों को लेकर खासी चिंता है। लोगों को डर है तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। ऐसे में जल्द ही उनका भी वैक्सीनेशन शुरू होना चाहिए। इसे लेकर शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि 18 साल से कम के बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल खत्म होने के कगार है। सरकार जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन की नीति तैयार करेगी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने की नाबालिग की जनहित याचिका पर सुनवाई
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 12 वर्षीय बालिका ने अपनी मां के जरिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 18 साल से कम के बच्चों और उनके माता-पिता को प्राथमिकता समूह में शामिल करने वैक्सीनेशन करने का आदेश देने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि महामारी की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित हुए हैं। तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे अधिक खतरा है। ऐसे में उन्हें वैक्सीन लगाई जानी चाहिए।
याचिका में दी गई है यह दलील
याचिका में दलील दी गई है कि चिकित्सा विशेषज्ञों और वायरोलॉजिस्ट ने महामारी की तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे अधिक खतरा होने की आशंका जताई है। ऐसे में बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी खतरें की दहलीज पर खड़े हैं। याचिका में कहा गया कि अमेरिका और कनाड़ा जैसे देशों में बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है, जबकि भारत में अनदेखी की जा रही है। ऐसे में यहां भी जल्द ही बच्चों को वैक्सीन लगाई जानी चाहिए।
बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए जल्द बनाई जाएगी नीति- सरकार
मामले की सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है और यह जल्द ही पूरा होने वाला है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा वैक्सीन को मंजूरी देते ही सरकार बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए नीति तैयार करेगी और उसे यथासंभव शीघ्रता से लागू कर दिया जाएगा।
जायडस कैडिला ने पूरा किया ट्रायल- सरकार
अतिरिक्त सॉलिसिटर ने बताया कि DNA वैक्सीन विकसित करने वाली जायडस कैडिला ने बच्चों पर अपना ट्रायल पूरा कर लिया है। कानूनी प्रावधानों के तहत यह वैक्सीन जल्द ही उपलब्ध हो सकती है। इसी तरह DCGI भारत बायोटेक को कोवैक्सिन का 2-18 साल के बच्चों पर ट्रायल की अनुमति दे दी है। ऐसे में उसने भी अपना ट्रायल शुरू करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। कंपनी भी जल्द ही अपना ट्रायल पूरा कर सकेगी।
सही तरह से होना चाहिए वैक्सीन का ट्रायल- हाई कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा कि पूरा देश बच्चों के वैक्सीनेशन का इंतजार कर रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ट्रायल में जल्दबाजी की जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी ट्रायल के लिए कोई समय सीमा नहीं हो सकती है। यदि इसमें जल्दबाजी की जाती है तो यह देश में बड़ी आपदा को जन्म दे सकता है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 6 सितंबर के लिए निर्धारित की है।
525 बच्चों पर किया जा रहा है कौवैक्सिन का ट्रायल
बता दें कि देशभर के कई केंद्रों पर दो से 18 साल के 525 बच्चों पर कोवैक्सिन का यह ट्रायल किया जा रहा है। इन केंद्रों में दिल्ली और पटना के AIIMS और नागपुर का मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज भी शामिल हैं।
तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है और इसी कारण उनका वैक्सीनेशन अहम हो जाता है। विशेषज्ञों ने अक्टूबर तक महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका जताई है और कई राज्यों ने तो बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इन राज्यों में जगह-जगह पर बच्चों के लिए कोविड देखभाल केंद्र खोले जा रहे हैं।