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रिकॉर्ड समय में बनी कोरोना वैक्सीन को लेकर हैं कई भ्रम और अफवाहें, जानिए इनकी सच्चाई

रिकॉर्ड समय में बनी कोरोना वैक्सीन को लेकर हैं कई भ्रम और अफवाहें, जानिए इनकी सच्चाई

Dec 19, 2020
06:29 pm

क्या है खबर?

अमेरिका और इंग्लैंड समेत कई देशों में लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन देने का काम शुरू हो गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले महीने तक भारत में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) शुरू हो जाएगा। महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। हालांकि, वैक्सीन उपलब्ध होने के साथ ही इनसे जुड़ी कुछ अफवाहें और भ्रम भी फैलने लगे हैं। आइये, ऐसी की कुछ अफवाहों के पीछे का सच जानते हैं।

भ्रम

जब रिकॉर्ड समय में वैक्सीन बनी है तो ये सुरक्षित कैसे हो सकती है?

कुछ लोग वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर अफवाह फैला रहे हैं कि जल्दबाजी में बनी वैक्सीन सुरक्षित नहीं हो सकती। यह सच है कि इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन रिकॉर्ड समय में तैयार हुई है, लेकिन ये जल्दबाजी में तैयार नहीं की गई हैं। इनके जल्दी बनने का कारण सालों की तैयारी है। जिस तकनीक पर ये वैक्सीन आधारित है, वो महामारी को ध्यान में रखकर विकसित की गई थी।

जानकारी

लंबे समय से चल रहा था काम

इस तकनीक की मदद से वैक्सीन बनाने के लिए केवल नए वायरस के जेनेटिक कोड की जरूरत होती है। कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड महामारी के शुरुआती दिनों में हासिल कर लिया गया था। उसके बाद से लगातार इस पर काम जारी था।

कोरोना वैक्सीन

महामारी की गंभीरता देखते हुए तेज किए गए ट्रायल

इनके जल्दी बनने की दूसरी वजह यह है कि इनके ट्रायल को तेज किया गया था। महामारी की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला लिया गया। हर रोज दुनियाभर में लाखों लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे थे और हजारों की जान जा रही थी। ट्रायल के दौरान काम करने वाली संस्थाओं ने अपनी गति बढ़ाई थी। इस दौरान कई अस्पतालों ने सातों दिन चौबीसों घंटे काम किया और सरकारों ने भी प्रकिया को आसान बनाकर मदद की।

भ्रम

एलर्जी वाले लोगों को वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए

कुछ लोग मानते हैं कि जिन लोगों को एलर्जी होती है उन्हें वैक्सीन की खुराक नहीं लेनी चाहिए। यह सच है कि कुछ लोगों को वैक्सीन में मौजूद विशिष्ट सामग्री से एलर्जी हो सकती है, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या न के बराबर होगी। अभी तक मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन के ट्रायल में शामिल लोगों में किसी प्रकार की एलर्जी नहीं देखी गई है। जानकार भी मानते हैं कि नई वैक्सीन से एलर्जी होने की आशंका बहुत कम है।

अफवाह

वैक्सीन लेने से DNA बदल जाता है?

यह अफवाह शायद इस वजह से शुरू हुई थी कि फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन जेनेटिक मेटेरियल का इस्तेमाल करती हैं। इन वैक्सीन की खुराक से DNA पर कोई असर नहीं होता। ये RNA की मदद से काम करती हैं। ये दोनों वैक्सीन mRNA तकनीक से बनी हैं। इसमें वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है।

अफवाह

वैक्सीन कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक है?

कुछ लोग यह भी मानते हैं कि कोरोना वायरस की वैक्सीन कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक है। जानकारों का कहना है ऐसा कुछ नहीं है। वैक्सीन महामारी से बचाव में मदद करती है और संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है। दुनियाभर में लाखों लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। यह पूरी तरह सुरक्षित साबित हुई है। इन लोगों में कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं देखे गए हैं, जबकि कोरोना लगभग 17 लाख जानें ले चुका है।

जानकारी

वैक्सीन का विरोध भी करते हैं कुछ लोग

आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि इन अफवाहों को हटा भी दें तो कई लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन पर भरोसा नहीं करते। एक सर्वे में पता चला है कि भारत के 70 प्रतिशत लोग वैक्सीन नहीं लेना चाहते। यह रवैया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैला है। वैक्सीन के विरोध के पीछे स्वास्थ्य, धार्मिक और राजनीतिक समेत कई कारण होते हैं। इस बारे में आप यहां टैप कर विस्तार से जान सकते हैं।