AIIMS पटना में शुरू हुआ 2-18 साल के बच्चों पर 'कोवैक्सिन' क्लिनिकल ट्रायल
देश में चल रही कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ चलाए जा रहे मेगा वैक्सीनेशन अभियान में काम ली जा रही भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' का गुरुवार से 2-18 साल के बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है। इसी शुरुआत पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) से हुई है। इस क्लिनिकल ट्रायल को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि देश में अभी तक बच्चों के लिए कोई वैक्सीन नहीं है।
'कोवैक्सिन' को पिछले महीने मिली थी बच्चो पर ट्रायल की अनुमति
बता दें कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 13 मई को भारत बायोटेक को 2-18 साल तक के बच्चों और किशोरों पर 'कोवैक्सिन' के ट्रायल की मंजूरी दी थी। इसके लिए विशेषज्ञ समिति ने DCGI से सिफारिश की थी। इसके बाद पिछले सप्ताह ही AIIMS पटना में ट्रायल के लिए वॉलेंटियरों से आवेदन मांगे गए थे। सरकार की घोषणाओं के मुताबिक देश भर में कई जगहों पर 525 वॉलेंटियरों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा।
AIIMS पटना के ट्रायल में 70-80 बच्चों के हिस्सा लेने की उम्मीद
AIIMS पटना के डॉ सीएम सिंह ने कहा कि उनका लक्ष्य क्लिनिकल ट्रायल में 70 से 80 बच्चों को शामिल करना है। उन्होंने बताया कि केवल उन पंजीकृत बच्चों को ही भाग लेने की अनुमति दी जाएगी जिनकी RT-PCR के साथ-साथ एंटीबॉडी परीक्षणों में रिपोर्ट निगेटिव आएगी। ट्रायल में सबसे पहले 12 से 18 साल आयु वर्ग के किशोरों को वैक्सीन लगाई जाएगी और उसके बाद 6-12 साल आयु वर्ग के बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी।
देशभर के इन अस्पतालों में होगा बच्चों पर ट्रायल
AIIMS पटना के अलावा देश के कई अन्य अस्पताल और मेडिकल संस्थानों में भी बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। इनमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली, दिल्ली के बसैदरापुर ESI अस्पताल, प्रखर अस्पताल, कानपुर, मैसूर मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद स्थित परनाम अस्पताल और नागपुर स्थित मेडिट्रिनिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज शामिल हैं। इन सभी अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों ने बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी शुरू हो गई है।
81 प्रतिशत प्रभावी मिली है 'कोवैक्सिन'
बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। लगभग 26,000 वयस्कों पर हुए तीसरे चरण के ट्रायल में इसे 81 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था।
विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की आशंका के बीच बच्चों को वैक्सीन लगाने का किया आह्वान
कई विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने देश में बच्चों को भी वैक्सीन लगाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह विशेष रूप से इस आशंका के कारण है कि कुछ महीनों के बाद भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है, जो विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों के लिए अधिक खतरनाक हो सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा जैसे कुछ देशों ने बच्चों को भी कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन लगाने की अनुमति जारी कर दी है।
भारत में क्या है वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति?
बता दें कि भारत में 16 जनवरी से कोरोना वायरस के खिलाफ मेगा वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के तहत देश में अब तक 22,10,43,693 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। यह देश की कुल आबादी का महज तीन प्रतिशत हिस्सा है। बुधवार को 24,26,265 खुराकें लगाई गईं। केंद्र सरकार ने इस साल के अंत तक सभी भारतीय वयस्कों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया है।