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सांस रोकने पर बढ़ जाता है कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा- IIT स्टडी

सांस रोकने पर बढ़ जाता है कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा- IIT स्टडी

Jan 12, 2021
06:19 pm

क्या है खबर?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास द्वारा की गई एक स्टडी में सामने आया है कि सांस रोकने या सांस लेने की कम दर होने पर कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अनुसार, सांस लेने की दर कम होने पर कोरोना वायरस जैसे हवा के जरिए फैलने वाले वायरसों के फेफड़ों में जमा होने का खतरा बढ़ जाता है। बता दें कि आमतौर पर योग विशेषज्ञों और एथलीट्स में सांस लेने की दर कम होती है।

स्टडी

सांस संबंधी संक्रमणों का बेहतर इलाज ढूढ़ने के लिए की गई थी स्टडी

'फिजिक्स ऑफ फ्लूड्स' जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी को IIT मद्रास के प्रोफेसर महेश पंचागनुला के नेतृत्व में किया गया था और इसमें उनके रिसर्च स्कॉलर अर्नब कुमार मलिक और सोमल्या मुखर्जी भी शामिल थे। सांस संबंधी संक्रमणों का बेहतर इलाज और दवाएं ढूढ़ने के लिए की गई इस स्टडी में छींकने या खांसने के दौरान निकलने वाली छोटी-छोटी एयर ड्रॉपलेट्स (बूंदों) के जरिए वायरस के प्रसार की नकल करके इस नतीजे पर पहुंचा गया।

तरीका

इस तरीके से किया गया अध्ययन

फेफड़ों के अंदर ड्रापलेट्स कैसे कार्य करती हैं, यह समझने के लिए स्टडी में ब्रांकिओल्स (फेफड़ों के अंदर वायु मार्ग) के बराबर व्यास (डाईमीटर) वाली छोटी कैपिलरीज (रक्त वाहिकाएं) में ड्रापलेट्स के मूवमेंट का अध्ययन किया गया। टीम ने पहले पानी और फ्लोरोसेंट पार्टिकल्स से बने एक द्रव से एयर ड्रॉपलेट्स पैदा कीं और फिर देखा कि ये फेफड़ों में कितना जमा होती हैं। उन्होंने पाया कि ड्रॉपलेट्स के लंबी ब्रांकिओल्स में जमा होने की संभावना ज्यादा होती है।

बयान

अधिक खतरनाक होते हैं फेफड़ों के गहरे संक्रमण- पंचागनुला

द प्रिंट से बात करते हुए पंचागनुला ने कहा कि फेफड़ों के गहरे संक्रमण सबसे अधिक खतरनाक होते हैं और सवाल ये हैं कि ये एयर ड्रॉपलेट्स इतने गहरे कैसे पहुंचते हैं और कुछ लोगों में ऐसा क्यों होता है, जबकि कुछ में नहीं होता। उन्होंने कहा कि उनकी स्टडी दूसरे सवाल का जबाव देती है और जिन लोगों को सांस लेने की दर कम होती है, उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।

प्रसार का तरीका

एयरड्रॉप्स और एयरोसॉल्स के जरिए फैल सकता है कोरोना वायरस

गौरतलब है कि 2019 के दिसंबर में चीन के वुहान में पहली बार सामने आया कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) खांसने या छींकने के दौरान निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदों (एयरड्रॉप्स और एयरोसॉल्स) के जरिए भी फैल सकता है और इसे संक्रमण फैलने का एक मुख्य जरिया माना जाता है। कोरोना के इस हवाई प्रसार के कारण ही लोगों को एक-दूसरे से दो मीटर यानि छह फुट की दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है।

कोरोना का कहर

दुनियाभर में क्या है कोरोना वायरस महामारी की स्थिति?

कोरोना वायरस महामारी की स्थिति की बात करें तो जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 9.09 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 19.44 लाख की मौत हुई है। सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में 2.26 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 3.76 लाख लोगों की मौत हुई है। वहीं दूसरे स्थान पर काबिज भारत में 1.04 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं और 1.51 लाख लोगों की मौत हुई है।