#NewsBytesExplainer: चंपई को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाना हेमंत सोरेन का मास्टरस्ट्रोक क्यों माना जा रहा?
क्या है खबर?
झारखंड के कथित जमीन घोटाले में घिरे हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन मुख्यमंत्री पद संभालेंगे।
चंपई ने सत्तारूढ़ महागठबंधन के विधायक दल के नेता के रूप में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया है।
आइए जानते हैं कि क्यों चंपई को प्रदेश की कमान सौंपना हेमंत का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
परिचय
सबसे पहले जानें कौन हैं चंपई सोरेन
67 वर्षीय चपंई गरीब किसान परिवार से आते हैं। वह सरायकेला-खरसांवा जिले स्थित जिलिंगगोड़ा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की है। उनका विवाह कम उम्र में ही हो गया था।
उन्होंने पहली बार 1991 में सरायकेला सीट से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
वह भाजपा-JJM गठबंधन की सरकार में मंत्री रहे और अभी झारखंड सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री थे।
कारण
हेमंत ने चंपई को क्यों किया आगे?
चंपई पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वह हेमंत के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के करीबी माने जाते हैं। वह पार्टी के वफादार सदस्य रहे हैं और वर्तमान में वह पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं।
इन सबके अलावा हेमंत द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर आगे करने की सबसे बड़ी वजह ये है कि चंपई कोल्हान के इलाके से आते हैं और इस इलाके में उनकी मजबूत पकड़ है।
ये इलाका राजनीतिक तौर पर अहम है।
अहमियत
कोल्हान इलाका क्यों है अहम?
कोल्हान इलाके से अब तक झारखंड को 3 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं।
भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे चुके अर्जुन मुंडा और रघुवर दास इसी इलाके से ताल्लुक रखते हैं, जबकि निर्दलीय विधायक से मुख्यमंत्री बने मधु कोड़ा भी कोल्हान इलाके से आते हैं।
हालांकि, झारखंड के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कोल्हान इलाके में प्रत्याशित सफलता नहीं मिली और वह सत्ता में वापसी नहीं कर पाई, इसलिए हेमंत ने कोल्हान इलाके से आने वाले चंपई को आगे किया है।
राजनीतिक गणित
कोल्हान इलाके का क्या है गणित?
कोल्हान इलाका भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है और JMM यहां सेंध लगाना चाहती है।
कोल्हान इलाके में 13 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में इलाके की जमशेदपुर (पूर्व) सीट से भाजपा को बड़ा झटका लगा था।
तब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास यहां से चुनाव लड़े और वह नहीं चाहते थे कि भाजपा नेता सरयू राय को टिकट मिले। सरयू ने पार्टी से बागी होकर रघुवर के खिलाफ चुनाव में लड़ा और भारी अंतर से जीत हासिल की।
दांव
चंपई को मुख्यमंत्री बनाने की और क्या है वजह?
झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान हेमंत को ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली। चंपई को अपना उत्तराधिकारी चुनना आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उनका एक सोचा-समझा रणनीतिक कदम है।
चंपई को प्रदेश की राजनीति में 'झारखंड टाइगर' के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें राज्य आंदोलन से लेकर अब तक एक लोकप्रिय जमीनी नेता के तौर देखा जाता है।
उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से JJM को आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाड़ने में मदद मिलेगी।
अन्य वजह
चंपई को मुख्यमंत्री बनाने की ये भी एक वजह
चंपई को आगे करके हेमंत ने पार्टी में बागवत को भी रोका है। इससे पहले हेमंत के अपनी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने की अटकलें तेज थीं। उनके लिए पार्टी के एक विधायक ने सीट भी खाली कर दी थी।
हालांकि, हेमंत की भाभी सीता सोरेन और एक भाई ने कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने पर आपत्ति जताई।
इस आपत्ति से पार्टी और सोरेन परिवार में कलह हो सकती थी, जिसे रोकने के लिए हेमंत ने चंपई को आगे किया।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड एक नया राज्य बना था। बीते 23 सालों में प्रदेश में 11 मुख्यमंत्री रह चुके हैं और चंपई प्रदेश के 12वें मुख्यमंत्री होंगे।
31 जनवरी को कथित जमीन घोटाले में 7 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हेमंत को गिरफ्तार किया था। एजेंसी का दावा है कि उन्हें हेमंत की घोटाले में संलिप्तता के पुख्ता सबूत मिले हैं।