छत्तीसगढ़: बिच्छू और सांपों के बीच 68 फीट गहरे बोरवेल से कैसे सुरक्षित निकला राहुल?

छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में करीब 68 फीट गहरे बोरवेल में गिरे 10 वर्षीय मूक-बधीर राहुल साहू को प्रशासन ने करीब 104 घंटे की मशक्कत के बाद मंगलवार रात सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इस दौरान बिच्छू, सांप और कठोर चट्टानों ने बचाव अभियान को बाधित करने का प्रयास किया, लेकिन राहुल की जीवटता ने सभी परेशानियों को मात दे दी। आइये जानते हैं कि बिच्छू और सांपों के खतरे के बीच राहुल कैसे सुरक्षित बाहर आया।
Rahul Sahu, a 11-year-old boy who had fallen into a borewell in #Chhattisgarh's Janjgir Champa district has been rescued Indian ARMY after a 105-hour operation. pic.twitter.com/tqHC8wPhW8
— पूर्णिमा (@SanataniPurnima) June 15, 2022
बता दें कि राहुल मूक-बधीर है और वह घर पर ही रहता था। 10 जून को वह घर से गायब हो गया था। दोपहर 2 बजे परिजनों ने घर के पास खोदे गए 68 फीट गहरे बोरवेल से उसके रोने की आवास सुनी। उसके बाद राहुल के पिता लाला साहू ने पुलिस और प्रशासन को घटना की जानकारी दी। उसके बाद पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने बचाव कार्य शुरू किया और फिर सेना की मदद ली गई।
SDRF की टीम ने सबसे पहले बोरवेल में रस्सी के जरिए कैमरा भेजकर राहुल की स्थिति का पता लगाया। उस दौरान वह करीब 65 फीट की गहराई पर फंसा हुआ मिला। इसके बाद उसके लिए बोरवेल में सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का पाइप डाला गया और बोरवेल के बाद दूसरा गड्ढा खोदना शुरू किया। इसके अलावा पाइप के जरिए राहुल तक फलों का ज्यूस पहुंचाया गया। उसके बाद कटक और भिलाई से NDRF की टीमें भी बुलाई गई।
NDRF के एक अधिकारी ने बताया कि बोरवेल में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बिच्छू और सांप रेंग रहे थे और सोमवार को एक सांप और दो बिच्छू राहुल के पास पहुंच गए। इससे उनके राहुल को नुकसान पहुंचाने का खतरा बढ़ गया, लेकिन वो बिना राहुल को नुकसान पहुंचाए बिना वहां से चले गए। इसी तरह 60 फीट की गहराई के बाद कठोर चट्टानों ने मशीनों को नाकाम कर दिया। ऐसे में बचावकर्मी चट्टानों को हाथों से तोड़ते हुए आगे बढ़े।
जिला कलक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि कठोर चट्टानों को तोड़ने के लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की कोयला खानों में काम आने वाली भारी मशीनों के साथ ग्रेनाइट चट्टानों को तोड़ने में माहिर कर्मचारियों की भी मदद ली गई थी।
जिला कलक्टर ने बताया कि 65 फीट का गड्ढा खोदने के बाद राहुल को निकालने के लिए एक समानांतर सुरंग खोदना शुरू किया गया था। इसके लिए सेना के जवानों की मदद ली गई थी। उन्होंने बताया कि जवानों ने सुरंग को धंसने से रोकने के लिए मशीनों की जगह हाथों से चट्टानों को तोड़ा और फिर मिट्टी हटाई। सुरंग के बोरवेल से मिलने के बाद जवानों को राहुल की पहली झलक दिखी तो उसी सांसे चल रही थी।
जिला कलक्टर ने बताया कि सेना के जवानों के राहुल को जिंदा देखने की खबर आते ही बाहर खड़े लोगों खुशी से झूम उठे और उन्होंने 'भारत माता' के जयकारे लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद सब उसके सकुशल बाहर आने का इंतजार करने लगे।
जिला कलक्टर ने बताया कि सुरंग के बोरवेल तक पहुंचने के बाद जवानों ने चट्टान के हिस्से पर सोए राहुल को रस्सी से बांधकर सुरंग में खींचा और उसके बाद उसे बाहर निकालकर सीधे एंबुलेंस में बैठे डॉक्टरों तक पहुंचा दिया। कलक्टर ने बताया कि डॉक्टरों ने राहुल के जिंदा होने की पुष्टि कर उसके स्वास्थ्य का मुआयना किया और फिर उसे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल रवाना किया। वहां अब उसकी हालत में सुधार है।
राहुल की 104 घंटे बाद सकुशल वापसी से उसके पिता और मां गीता साहू बेहद खुश है। मां ने आंखों से छलकते खुशी के आंसुओं के साथ कहा कि जिला प्रशासन और बचाव दल की कड़ी मेहनत से यह संभव हो सका है। एक बार तो उन्होंने मान लिया था कि उनका बेटा शायद ही बचेगा, लेकिन सेना, कलक्टर, मुख्यमंत्री और बचाव दल ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया। उन्होंने कहा कि वह सभी का दिल से आभार जताती हैं।
राहुल के सुरक्षित बाहर आने के बाद मु्ख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बचाव अभियान सफल नहीं होता, लेकिन वह राहुल द्वारा दिखाए गए धैर्य और बहादुरी के लिए बधाई देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान बचाव टीम ने भी हार नहीं मानी और 48 घंटे तक बिना रुके काम किया। वह बिना खाए, सोए और आराम किए अभियान में जुटे रहे और उसे अविश्वसनीय रूप से सफल बनाया। वो सभी बधाई के पात्र हैं।