प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में किया शहीद वरुण सिंह की चिट्ठी का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस साल के आखिरी 'मन की बात' कार्यक्रम में देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में तमिलनाडु हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी लिखी चिट्ठी को याद किया। 8 दिसंबर को तमिलनाडु में हुए दुखद हेलिकॉप्टर क्रैश में वरुण सिंह को गंभीर चोटें आईं थी। एक हफ्ते तक मौत से लड़ते रहने के बाद बेंगलुरु के अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी।
वरुण सिंह ने बचपन के स्कूल को लिखी थी चिट्ठी
प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' कार्यक्रम में हेलीकॉप्टर दुर्घटना के एक दिन बाद सामने आई वरुण सिंह की चिट्ठी का जिक्र किया। वरुण सिंह को सितंबर में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था जिसके बाद उन्होंने अपने बचपन के स्कूल के बच्चों के लिए यह चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में उन्होंने उन बच्चों को प्रेरणा दी थी जिन्हें लगता है कि वे सिर्फ औसत दर्जे में रह जाने के लिए हैं।
वरुण सिंह की चिट्ठी ने मेरे दिल को छू लिया- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जब वरुण अस्पताल में थे, मैंने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा देखा जो मेरे दिल को छू गया। उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी। उस पत्र को पढ़ने के बाद, मेरा पहला विचार था कि सफलता की ऊंचाइयों को छूने के बावजूद वे अपनी जड़ों को नहीं भूले। जब जश्न मनाने का समय था, वह अपने स्कूल के बच्चों के साथ जश्न मनाना चाहते थे।"
स्कूल में मैं एक औसत छात्र था- वरुण सिंह
वरुण सिंह ने चिट्ठी में लिखा था, "मैं बहुत ही औसत छात्र था, जिसने 12वीं कक्षा में मुश्किल से प्रथम श्रेणी हासिल की थी। लेकिन मुझे हवाई जहाज और विमान क्षेत्र के लिए एक जुनून था। मैंने हमेशा सोचा था कि मैं औसत होने के लिए ही हूं। लेकिन एक लड़ाकू स्क्वाड्रन में एक युवा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन होने के बाद मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं अपना दिल और दिमाग लगाता तो अच्छा कर सकता था।"
खुद पर विश्वास करें और काम करें- वरुण सिंह
वरुण सिंह ने पत्र में आत्मविश्वास पर जोर देते हुए लिखा, "ऐसा मत सोचो कि कक्षा 12 के बोर्ड के अंक तय करते हैं कि आप जीवन में क्या हासिल करने में सक्षम हैं। खुद पर विश्वास करें और इसके लिए काम करें।" प्रधानमंत्री ने कहा, जिस समय में युवाओं को असाधारण दबाव का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से जो बच्चे संकोची और शर्मीले हैं, उन लाखों बच्चों के लिए वरुण सिंह की बातें प्रेरणा देने वाली हैं।