केंद्र सरकार ने वापस लौटाए जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के सुझाए 19 नाम
केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए 21 में 19 नामों को लौटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए इन नामों की सिफारिश की थी। 28 नवंबर को सरकार ने इन नामों को वापस लौटाया, जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति को लेकर सुनवाई की थी। वापस लौटाए गए 19 नामों में से 10 ऐसे थे, जिन्हें दोबारा मंजूरी के लिए भेजा गया था।
दो नामों को मिली मंजूरी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इन 10 नामों में से पांच इलाहाबाद हाई कोर्ट, दो-दो केरल और कलकत्ता हाई कोर्ट और एक कर्नाटक हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए था। वहीं केंद्र सरकार ने अधिवक्ता संतोष गोविंद चापलगांवकर और मिलिंद मनोहर साठये की बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कानून मंत्री ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। बता दें, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 सितंबर को इनके नाम की सिफारिश की थी।
दोबारा सिफारिश के बाद वापस आए ये नाम
कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज के लिए ऋषद मुर्तजा के नाम की सिफारिश 24 अगस्त, 2021 और 14 जुलाई, 2022 को को थी। मुर्तजा के नाम के साथ ही शिशिर जैन, ध्रुव माथुर और विमलेंदु त्रिपाठी के नाम की सिफारिश की गई थी। इनके अलावा मनु खरे के नाम की पहली सिफारिश 6 अक्टूबर, 2021 और दूसरी बार 14 जुलाई, 2022 को की गई थी। सरकार ने इन सभी के नाम वापस लौटा दिए हैं।
ये नाम भी आए वापस
कलकत्ता हाई कोर्ट के लिए अमितेश बनर्जी के नाम की सिफारिश 27 जुलाई, 2019 और 1 सितंबर, 2021 और साक्या सेन के नाम की पहली सिफारिश 24 जुलाई, 2019 और दूसरी बार 8 अक्टूबर, 2021 को की गई थी। इसी तरह केरल हाई कोर्ट के लिए संजीव कल्लूर अराक्कल और अरविंद कुमार बाबू टी के नाम 1 सितंबर, 2021 और दूसरी बार 11 नवंबर, 2021 को भेजे गए थे। सरकार ने इन नामों को भी मंजूरी नहीं दी है।
तीन बार हुई थी इस नाम के लिए सिफारिश
कर्नाटक हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति के लिए नागेंद्र रामचंद्र नायक का नाम पहली बार 3 अक्टूबर, 2019 को, दूसरी बार 2 मार्च, 2021 और तीसरी बार 1 सितंबर, 2021 को भेजा गया, लेकिन उन्हें सरकार ने हरी झंडी नहीं दिखाई है।
क्या रही है परंपरा?
आमतौर पर अगर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम दूसरी बार किसी व्यक्ति के नाम की सिफारिश करता है तो सरकार इसे मंजूरी देने के लिए बाध्य होती है। वहीं इसकी समयसीमा को लेकर कहा गया है कि कॉलेजियम से नाम प्राप्त होने के तीन सप्ताह के भीतर कानून मंत्रालय को अपनी सिफारिश प्रधानमंत्री को देनी होती है, जो इस बारे में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं। इस तरह देखा जाए तो कई नाम सालों से सरकार के पास लंबित थे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा था नोटिस
जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने केंद्र सरकार से सफाई मांगी थी। केंद्र को नोटिस भेजते हुए कोर्ट ने कहा था कि नामों को मंजूरी देने में देरी स्वीकार्य नहीं है और इससे परेशानियां बढ़ती हैं। कोर्ट ने कहा था कि सरकार की तरफ से मंजूरी न मिलने के कारण हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होती है और इसके नतीजे में न्याय और विधि प्रभावित होते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
संविधान के अनुच्छेद 124 (2) में सुप्रीम कोर्ट के जजों की और 217 (1) में हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के बारे में बात की गई है। नियमों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति करते हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ही हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति करता है। इस कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के अलावा चार अन्य वरिष्ठतम जज शामिल होते हैं।