सुप्रीम कोर्ट का सवाल- क्या निर्धारित ड्रेस वाले स्कूल में छात्राएं हिजाब पहन सकती हैं?
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध से संबंधित मामले पर सुनवाई हुई। मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि किसी भी व्यक्ति को धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन क्या यह अधिकार निर्धारित यूनिफॉर्म वाले स्कूल में भी लागू हो सकता है। उसने पूछा कि क्या कोई छात्रा उस स्कूल में हिजाब पहन सकती है जहां निर्धारित ड्रेस है।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने पूछा, "आपके पास किसी भी धर्म को मानने का अधिकार हो सकता है, लेकिन क्या उस स्कूल में धर्म का पालन कर सकते हैं जहां निर्धारित ड्रेस है?" याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और राजीव धवन ने इन सवालों का जबाव देते हुए कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 के प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि प्रतिबंध एक बड़े वर्ग की महिलाओं को शिक्षा से वंचित कर सकता है।
ASG ने दिया स्कूल के अनुशासन का हवाला
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) केएम नटराज ने कोर्ट में कहा कि यह मुद्दा काफी सीमित है और यह शैक्षणिक संस्थानों में अनुशासन से संबंधित है। कोर्ट ने सवाल किया, "अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो स्कूल में अनुशासन का उल्लंघन कैसे होता है?" इस पर ASG ने कहा, "अपनी धार्मिक प्रथा या धार्मिक अधिकार की आड़ में कोई यह नहीं कह सकता कि मैं ऐसा करने का हकदार हूं, इसलिए मैं स्कूल के अनुशासन का उल्लंघन करना चाहता हूं।"
क्या है हिजाब विवाद?
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई थी। छात्राओं ने इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई हिंदू छात्रों के विरोध में उतरने पर यह विवाद दूसरे जिलों में भी फैल गया। 9 फरवरी को हाई कोर्ट ने मामले को तीन जजों वाली बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
15 मार्च को सुनाए गए अपने फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि स्कूल यूनिफॉर्म एक उचित पाबंदी है और छात्राएं इस पर आपत्ति नहीं उठा सकतीं।