
चुनावी बॉन्ड की बिक्री कल होगी शुरू, वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा है फैसला
क्या है खबर?
देश में 5 राज्यों में कुछ ही दिनों में चुनाव शुरू होने वाले हैं और इससे ठीक पहले केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड की 29वीं किश्त जारी करने की मंजूरी दे दी है।
सोमवार से इसकी बिक्री की शुरुआत होगी और ये 20 नवंबर तक जारी रहेगी।
बता दें, वित्त मंत्रालय की अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखने के ठीक 2 दिन बाद आई है।
चुनावी बॉन्ड
क्या होता है चुनावी बॉन्ड?
यह एक सादा कागज होता है, जिस पर नोटों की तरह उसकी कीमत छपी होती है।
इसे कोई भी भारतीय व्यक्ति या कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को दान कर सकता है।
साल 2017 के बजट में इसकी घोषणा हुई थी, 29 जनवरी 2018 में इसे लागू किया गया।
SBI हर तिमाही में 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है।
पिछले चुनाव में न्यूनतम 1 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली पार्टी ही इसे प्राप्त कर सकती है।
वित्त मंत्री
वित्त मंत्रालय ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर क्या कहा?
वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा, "योजना के तहत सरकार ने बिक्री के 29वें चरण में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 29 ब्रांच के जरिए 6-20 नवंबर तक चुनावी बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया है।"
इसमें आगे कहा गया, "यदि वैधता अवधि समाप्त होने के बाद चुनावी बॉन्ड जमा किये जाते हैं तो भुगतानकर्ता राजनीतिक दल को कोई राशि नहीं मिलेगी। किसी भी राजनीतिक पार्टी द्वारा जमा किया गया बॉन्ड उसी को क्रेडिट किया जाएगा।"
फैसला
चुनावी बॉन्ड की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
बता दें कि अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर को अपना चुनावी बॉन्ड पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की संवैधानिक पीठ कर रही थी।
इस मामले पर तीसरे दिन की सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से सभी पार्टियों को 30 सितंबर तक बॉन्ड के जरिए मिले पैसे की जानकारी मांगी है।
विवाद
चुनावी बॉन्ड को लेकर क्या है विवाद?
चुनावी बॉन्ड शुरुआत से ही विवादों में रहा है। इसका एक प्रमुख कारण धन के स्रोत के बारे में पारदर्शिता की कमी है।
इसमें दानकर्ता की पहचान उजागर गुप्त होती है, जिससे स्रोत का पता नहीं लग पाता।
इससे राजनीतिक पार्टियों और कारोबारियों के गठजोड़ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं जिससे उन्हें चंदा देने वाले कारोबारियों/कंपनियों को अनुचित लाभ देने की जानकारी नहीं मिल पाती।
बॉन्ड का इस्तेमाल कालेधन को सफेद करने के लिए होने का भी आरोप है।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, मार्च, 2018 से जुलाई, 2023 के बीच पार्टियों को चुनावी बॉन्ड के रूप में 13,000 करोड़ रुपये का दान मिला।
2018 और 2022 के बीच SBI द्वारा 9,208 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे। इनकी 58 प्रतिशत राशि भाजपा को मिली।
वित्त वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच पार्टियों को बॉन्ड से मिलने वाले चंदे में 743 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।