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पूर्वोत्तर भारत में 2 साल बाद फिर शुरू हुआ CAA का विरोध, NESO कर रहा नेतृत्व
पूर्वोत्तर भारत में 2 साल बाद फिर शुरू हुआ CAA का विरोध।

पूर्वोत्तर भारत में 2 साल बाद फिर शुरू हुआ CAA का विरोध, NESO कर रहा नेतृत्व

Aug 17, 2022
02:35 pm

क्या है खबर?

देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध का दो साल बाद फिर से बिगुल बज उठा है। इस बार यह विरोध पूर्वोत्तर भारत में सभी राज्यों में उत्तर पूर्व छात्र संगठन (NESO) के नेतृत्व में किया जा रहा है। इसके चलते NESO के छात्रों ने बुधवार को असम, मेघालय और त्रिपुरा के मुख्यालयों पर धरना देकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि CAA के कारण उनके राज्यों में सीमावर्ती देशों से लोगों को अवैध आगमन बढ़ेगा।

CAA

न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

सरकार ने दिसंबर 2019 में CAA को संसद से पारित करा लिया था। इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल सकेगी।

विरोध

CAA को लेकर देश में हुआ है भारी विरोध

इस कानून में मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं होने को लेकर इस समुदाय के लोगों का मानना है कि इस कानून उनके खिलाफ दुरूपयोग किया जा सकता है। इसको लेकर 15 दिसंबर, 2019 से शाहीन बाग पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था, जो करीब 100 दिनों तक चला था। इसमें मुस्लिम महिलाओं सहित बच्चों ने भागीदारी निभाई थी। इसको लेकर दिल्ली में हिंसा भी हुई थी, जिसमें करीब 54 लोगों की मौत हो गई थी।

बयान

पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के खिलाफ है CAA- NESO अध्यक्ष

NESO अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने कहा CAA के कारण उनके राज्यों में सीमावर्ती देशों के लोगों को अवैध आगमन बढ़ेगा। ऐसे में यह स्पष्ट है कि CAA असम सहित पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों के खिलाफ है। वह लंबे समय से लोगों के अवैध प्रवास का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने CAA पर कानून बना दिया। उन्होंने कहा कि आज असम, मेघालय और त्रिपुरा की राजधानियों में अहिंसक धरना प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है।

बयान

सभी को विरोध करने का है अधिकार- असम भाजपा अध्यक्ष

राज्य में शुरू हुए विरोध को लेकर असम भाजपा प्रमुख भाबेश कलिता ने कहा, "भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां सभी को विरोध करने का अधिकार है। यह देखना होगा कि ताजा विरोध प्रदर्शनों पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है। मुझे उम्मीद है कि प्रदेश के लोग भावनाओं से प्रभावित नहीं होंगे और इस बार दो साल पहले CAA के विरोध के दौरान घटित विघटनकारी और हिंसक घटनाओं जैसा कुछ भी नहीं होगा।"

अपील

पुलिस ने छात्रों से की विरोध प्रदर्शनों से दूर रहने की अपील

इधर, असम में पुलिस ने छात्र संगठनों से विरोध प्रदर्शनों से दूर रहने और इसके बजाय विकास गतिविधियों में शामिल होने की अपील की। कानून व्यवस्था के पुलिस महानिदेशक (DGP) जीपी सिंह ने कहा कि पुलिस विरोध प्रदर्शन से निपटने को तैयार है। राज्य में विकास का माहौल देखने को मिल रहा है और इसे विरोध प्रदर्शन से बाधित नहीं करना चाहिए। वह लोगों से हिंसक विरोध प्रदर्शन से बचने की अपील करते हैं।