कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अलग राह दिखा रहा महाराष्ट्र का यह जिला
क्या है खबर?
देश में कोरोना वायरस (COVID-19) से हुई मौतों में आधी अकेले महाराष्ट्र में हुई हैं।
महामारी से देश में सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य में 2,000 से ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।
इसके बावजूद चंद्रपुर जिले में कोरोना वायरस का एक भी मामले सामने नहीं आया है।
यह तब है जब इसके पड़ोसी जिले नागपुर में 29 और यवतमाल में चार मामले सामने आ चुके हैं।
आइये, जानते हैं कि यह कैसे हुआ।
जानकारी
चंद्रपुर जिले में लागू है पास सिस्टम
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रपुर में जिला प्रशासन ने पास सिस्टम लागू किया है। इसके कारण एक परिवार का एक सदस्य ही निर्धारित तारीख पर बाहर जा सकता है। इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता है और बाजारों में भीड़ नहीं बढ़ती।
चंद्रपुर
तय तारीख को ही बाहर निकल सकते हैं पासधारक
जिले के दूसरे सबसे बड़े शहर बल्लरपुर में 22,000 परिवार रहते हैं। इसे पांच समूह में बांटा गया है।
यहां हर समूह को गुलाबी, नीला, सफेद, पीला और हरा पास जारी किया गया है।
इन पास पर लिखी गई तारीख को ही पासधारक घर से बाहर जाकर राशन और दूसरा जरूरी सामान खरीद सकते हैं।
सफेद पास वालों को यहां महीने की 5, 10, 15, 20, 25 और 30 तारीख को बाहर निकलने की अनुमति है।
सिस्टम
चंद्रपुर शहर में बनाए गए छह समूह
वहीं चंद्रपुर शहर में लगभग 85,000 परिवार रहते हैं। यहां सभी लोगों को सफेद कार्ड जारी किए गए हैं।
यहां अलग-अलग रंग के पास की जगह लोगों को छह समूह में बांटा गया है और हर समूह के लोगों के बाहर निकलने के लिए तारीख निर्धारित की गई है।
यह पास उसी व्यक्ति के लिए लागू होता है, जिसकी इस पर फोटो लगी होती है। पास को दिन में केवल 11:30 से 4:30 बजे तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
चंद्रपुर
क्यों महसूस हुई पास की जरूरत?
पिछले महीने 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान के बाद प्रशासन ने पाया कि सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक बड़ी संख्या में लोग राशन और दूसरा जरूरी सामान लेने निकलते थे। इससे बाजारों में भीड़ लगने लगती थी, जिस कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता था।
इसका समाधान निकालते हुए प्रशासन ने ये पास जारी करने का विचार किया। इनके तहत तय समय पर कुछ ही लोग बाहर निकल पाते हैं।
बयान
क्या कहते हैं जिले के कलेक्टर?
चंद्रपुर के कलेक्टर कुनाल खेमकर ने कहा कि जिले में वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन के साथ बैठक में पास जारी करने का विचार आया।
खेमकर ने कहा, "यह पूरी तरह से लागू होने वाला नियम नहीं है। जिन लोगों को दवाओं की जरूरत होती है वो किसी भी दिन बाहर आ सकते हैं, लेकिन पास की वजह से बाकी लोगों के बाहर आने पर काफी हद तक रोक लगी है।"
चंद्रपुर
आशा कार्यकर्ताओं ने सर्वे कर जुटाई जानकारी
चंद्रपुर शहर में आशा कार्यकर्ताओं ने सर्वे कर पास जारी किए जाने वाले लोगों की जानकारियां जुटाई। सर्वे में लोगों से पासधारक का नाम, राशन कार्ड नंबर और राशन डिलीवरी की जरूरत के बारे में पूछा गया था।
इस दौरान पता चला कि प्रवासी मजदूरों के लगभग 3,000 परिवारों को राशन की जरूरत है और उनके पास राशन कार्ड नहीं है। ऐसे परिवारों को अब राशन और जरूरी सामान मुहैया कराया गया है।