दिल्ली का प्रदूषण कम करने के लिए 22 साल के युवा की मदद लेगी सरकार
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या खत्म करने के लिए केंद्र सरकार नागपुर के एक युवा रिसर्चर की मदद लेगी। 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हाइड्रोजन आधारित टेक्नोलॉजी विकसित करने वाले 22 वर्षीय रिसर्चर विश्वनाथ जोशी की मदद लेने की अनुमति दी थी। नागपुर के रहने वाले जोशी ने जापान की क्युशू यूनिवर्सिटी में रिसर्च के दौरान यह टेक्नोलॉजी विकसित की है। जापान जाने से पहले उन्होंने पुणे के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी जोशी की टेक्नोलॉजी की जानकारी
सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार को पता चला है कि जापान के एक इंस्टीट्यूट में दिल्ली का प्रदूषण कम करने के लिए काम किया जा रहा है। इस सुनवाई के दौरान जोशी खुद सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे। अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। जोशी का कहना है कि हाइड्रोजन मौजूदा सभी प्रकार के ईंधनों का सर्वोत्तम विकल्प है और यह पूरी तरह प्रदूषण रहित है।
कम अवधि के लिए कारगर है जोशी की टेक्नोलॉजी
TOI से बात करते हुए जोशी ने बताया कि उन्होंने अपने प्रोफेसर हेई वान ली के साथ मिलकर यह टेक्नोलॉजी तैयार की है। उन्होंने कहा कि यह शॉर्ट टर्म एयर डिटॉक्स सिस्टम है जो दिल्ली का प्रदूषण कम करने में मदद कर सकता है। भारत सरकार ने इसमें रूचि दिखाई है। साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए लंबी अवधि के कदम भी उठाएगी।
जोशी के प्रोफेसर ने बुलाया था उन्हें जापान
जोशी और उनके प्रोफेसर ने हाइड्रोजन से चलने वाले जनरेटर भी तैयार किए हैं जो डीजल जनरेटर की जगह ले सकते हैं। जोशी ने कहा कि जब हाइड्रोजन से चलने वाले इन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा तो दिल्ली का प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। हाइड्रोजन एनर्जी सिस्टम के क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट को कामयाबी के साथ अंजाम देने के बाद जोशी को उनके प्रोफेसर ने जापान बुलाया था। प्रोफेसर हेई हाइड्रोज एनर्जी के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम है।
जोशी से मदद लेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिस्टर जनरल मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जोशी के साथ मिलकर उनके सिस्टम के बारे में पूरी जानकारी हासिल करेगी।