Page Loader
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बकरीद पर विशालगढ़ किले में पशु बलि की इजाजत दी
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बकरीद पर होने वाली पशु बलि पर दिया अहम फैसला

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बकरीद पर विशालगढ़ किले में पशु बलि की इजाजत दी

Jun 16, 2024
11:47 am

क्या है खबर?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में विशालगढ़ किले में स्थित एक दरगाह पर बकरीद और उर्स के लिए पारंपरिक पशु बलि जारी रखने के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 'संरक्षित क्षेत्र' और 'संरक्षित स्मारक' के बीच अंतर स्पष्ट किया और इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के फैसले को बेतुका करार दिया है। जस्टिस बीपी कोलाबावाला और फिरदोश पूनीवाला ने हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहेब दरगाह की याचिका पर यह फैसला सुनाया।

बचाव

सरकारी वकील ने किया सरकार के फैसले का बचाव

मामले में सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि पशु बलि पर प्रतिबंध महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम और नियमों के अनुरूप लगाया गया था। उन्होंने कहा कि पशु बलि अनिवार्य रूप से संरक्षित स्मारकों मांसाहार के सेवन को बढ़ावा देगा। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील एसबी तालेकर और माधवी अय्यपन ने तर्क दिया कि अधिनियम 'संरक्षित क्षेत्र' को विशिष्ट पुरातात्विक स्थलों के रूप में परिभाषित करता है न कि पूरे क्षेत्र को।

असहमति

कोर्ट ने सरकार के तर्क पर जताई असहमति

सरकारी प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा कि संपूर्ण विशालगढ़ किला एक 'संरक्षित स्मारक' था और वहां पशु बलि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि अधिनियम 'संरक्षित क्षेत्र' और 'संरक्षित स्मारक' के बीच अंतर करता है। सरकार की व्याख्या के अनुसार, 107 परिवारों को या तो भूखा रहना होगा या संरक्षित क्षेत्र (333 एकड़) से बाहर जाकर अपना खाना पकाना होगा। यह व्याख्या बिल्कुल बेतुकी है।

अनुमति

कोर्ट ने बकरीद और उर्स पर दी पशु बलि की अनुमति

कोर्ट ने माना कि 1999 में विशालगढ़ को संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के बाद से फरवरी 2023 तक पशु बलि की परंपरा बिना की किसी परेशानी के जारी थी। ऐसे में 24 सालों तक अधिकारियों को अधिनियम के उल्लंघन का पता ही नहीं था। ऐसे में अब इसे आगे भी जारी रखा जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को खुले स्थान की जगह निजी क्षेत्र में ही पशु बलि देने के लिए पाबंद भी किया है।