भ्रष्टाचार मामला: देशमुख के खिलाफ याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता को बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार
क्या है खबर?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ पूर्व कमिश्नर द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरों से जांच कराने की मांग वाली एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई की।
इसमें कोर्ट ने अधिवक्ता को फटकार लगाते हुए उनकी याचिका को 'सस्ते प्रचार' का तरीका करार दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट ने उन्हें भविष्य में इस तरह की याचिका दायर करने में सावधानी बरतने की भी सलाह दी।
पृष्ठभूमि
सिंह ने गृह मंत्री पर लगाया 100 करोड़ की वसूली का टारगेट देने का आरोप
बता दें पूर्व कमिश्नर सिंह ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भेजकर गृह मंत्री देशमुख पर मुकेश अंबानी मामले की जांच के मुख्य अधिकारी सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को प्रतिमाह रेस्टोरेंट, होटल, बार आदि से 100 करोड़ रुपये की वसूली के आदेश देने का आरोप लगाया था।
उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्री ने वाजे को कई बार अपने सरकारी आवास पर बुलाया था और इसके कारण वाजे अपने तरीके से काम कर रहा था।
जानकारी
मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे पूर्व कमिश्नर
गृह मंत्री पर आरोप लगाने के बाद सिंह ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने के लिए गत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके अलावा उन्होंने याचिका में अपने तबादला आदेशों को भी चुनौती दी थी।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सिंह को पहले हाई कोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 मार्च को सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें मामले की सुनवाई के लिए पहले हाई कोर्ट जाने को कहा था।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकार और प्रशासन से जुड़ा होने के कारण यह मामला बेहद गंभीर है, लेकिन इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट क्यों करें? हाई कोर्ट क्यों नहीं?
इसके बाद सिंह ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर बुधवार को सुनवाई होने की संभावना है।
याचिका
अधिवक्ता जयश्री पाटिल ने भी दायर की याचिका
इस मामले में अधिवक्ता जयश्री पाटिल ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए गृह मंत्री के खिलाफ CBI या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी जांच के आदेश देने की मांग की है।
इसके अलावा उन्होंने याचिका में यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले में मालाबार हिल पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अभी तक मामला दर्ज नहीं किया गया है। ऐसे में उन्हें मजबूरन हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी बात रखी है।
फटकार
हाई कोर्ट ने अधिवक्ता पाटिल को लगाई फटकार
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पितले की पीठ ने अधिवक्ता पाटिल को फटकार लगाते हुए उनकी याचिका को 'सस्ते प्रचार' का साधन बताया है।
पीठ ने कहा, 'आपने अपराधशास्त्र में डॉक्ट्रेट किया है, लेकिन अपनी याचिका में एक भी पैराग्राफ ऐसा दिखाएं जो आपने खुद लिखा हो। याचिका में कुछ पैराग्राफ परमबीर सिंह की पत्र और कुछ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से लिए गए हैं। इस याचिका में आपने क्या किया है?'
जानकारी
याचिकाकर्ता ने की किया बेहद घटिया कार्य- महाधिवक्ता
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने कहा कि अधिवक्ता की शिकायत मालाबार थाने में लंबित है। उसमें कोई दम नहीं है। उन्होंने याचिका में कॉपी-पेस्ट करते समय फोंट तक नहीं बदले हैं। यह बेहद ही घटिया स्तर कर कार्य है।
अन्य
मामले में दायर हो चुकी है चार याचिकाएं
महाधिवक्ता कुंभकोनी ने बताया कि मामले में सिंह के अलावा अधिवक्ता पाटिल, पुणे के कार्यकर्ता हेमंत पाटिल और अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने भी अलग-अलग याचिकाएं दायर कर गृह मंत्री के खिलाफ लगे आरोपों की CBI या फिर स्वतंत्र ऐजेंसी से जांच कराने की मांग की है।
उन्होंने कोर्ट से सभी याचिकाओं को मुख्य याचिका के साथ शामिल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार भी चारों याचिकाओं को लागू करने का अनुरोध करेगी।