कश्मीर में आतंकियों के खौफ से राजनीति छोड़ रहे भाजपाई, एक महीने में पांच की मौत
क्या है खबर?
कश्मीर घाटी में इन दिनों भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं के लिए मौत की घाटी बनती जा रही है।
केंद्र की भाजपा सरकार से नाखुश आतंकवादियों ने कश्मीर घाटी में भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
यही कारण है कि आतंकियों ने पिछले एक महीने में पांच भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी। इसके चलते घाटी में अब भाजपा नेताओं के चेहरों पर मौत का खौफ साफ देखा जा सकता है।
वारदात
आतंकवादियों ने की तीन सरपंचों सहित पांच भाजपाइयों की हत्या
दैनिक भास्कर के अनुसार कश्मीर घाटी में एक महीने में आतंकवादियों ने भाजपाइयों पर कुल छह हमले किए हैं।
आतंकियों ने 8 जुलाई को बांदीपोरा में भाजपा के युवा नेता वसीम बारी, उनके पिता और भाई की हत्या कर दी थी।
इसके बाद दक्षिण कश्मीर में तीन और हमले किए थे। जिनमें भाजपा के दो सरपंचों की मौत हो गई और एक घायल हो गया। इसी तरह पिछले रविवार को बडगाम में एक और सरपंच की हत्या कर दी गई।
खौफ
आतंकियों के खौफ से राजनीति छोड़ने को मजबूर हो रहे भाजपाई
कश्मीर घाटी में आतंकियों द्वारा लगातार भाजपाइयों को निशाना बनाए जाने से अब अन्य भाजपा नेजा खौफजदा हैं।
इसी खौफ के कारण अब भाजपा नेता अपने पदों से इस्तीफा देकर राजनीति छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। पिछले एक महीने में ही भाजपा से जुड़े 40 से अधिक नेता तो अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीति छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि घाटी के भाजपाइयों में आतंकियों का कितना खौफ भरा हुआ है।
बयान
"मैं आतंकियों के हाथों नहीं मरना चाहता"
भाजपा का दामन छोड़ने वाले दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में सरपंच मुहम्मद इकबाल ने कहा, "मैं मरना नहीं चाहता हूं। मेरी पत्नी की मौत हो चुकी है। अब अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चों का ख्याल कौन रखेगा?"
उन्होंने कहा, "मैंने राजनीति से आत तक एक पैसा भी नहीं कमाया है। अब मैं अपना वक्त अपने काम में लगाना चाहता हूं और अपने परिवार को खुशियां देना चाहता हूं। इसी में हम सब की भलाई है।"
जानकारी
लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने दिया बेहतर सुरक्षा करने का आश्वासन
जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने बुधवार को श्रीनगर के कुछ सरपंचों से मुलाकात की और पंयायत नेताओं की हत्या पर दुख जताया। उन्होंने सरपंचों को भरोसा दिलाया कि प्रशासन पहले से ही सुरक्षा के कदम उठा रहा है, जिन्हें और बेहतर किया जाएगा।
आरोप
भाजपा ने पार्टी छोड़ने वालों पर लगाया मौका परस्ती का आरोप
आतंकियों के खौफ से नेताओं द्वारा पार्टी से इस्तीफा देने को लेकर भाजपा ने नेताओं पर मौका परस्ती का आरोप लगाया है।
भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि इस्तीफा देने वाले सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं। इनके लिए देशहित का कोई मूल्य नहीं है।
उधर, पंचायत से जुड़े अधिकतर नेता प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों से संतुष्ट नहीं है। इन सदस्यों में ज्यादातर भाजपा के हैं। प्रशासन उन्हें जबरन अलग-अलग जगहों पर ले जा रहा है।
जानकारी
पंच-सरपंचों को किया जा रहा है इधर-उधर
घाटी में 1267 पंच-सरपंच और 68 BDC काउंसिल हैं। इनमें ज्यादातर भाजपा के हैं। सुरक्षा के लि दक्षिण कश्मीर से पंच-सरपंचों को पहलगाम के होटल भेजा गया है। श्रीनगर के आसपास के जिलों से कुछ सरपंचों को गुलमर्ग के होटल में रखा है।
आरोप
जबरदस्ती बंद करके रखा जा रहा है- सरपंच
भाजपा से जुड़े सरपंच मोहम्मद अमीन ने कहा, "हमें जबरदस्ती ऐसी जगह पर रखा गया है, जहां न खाने का इंतेजाम है और न सोने का। मेरी बेटी का ऑपरेशन होना था, अभी वो अस्पताल में है। मुझे यहां आए हुए दो दिन हो गए, आखिर हमें जबरदस्ती बंद करके सरकार क्या जताना चाहती है।"
जम्मू-कश्मीर भाजपा के महासचिव अशोक कौल ने कहा कि सरपंच-पंचों को अच्छी सुरक्षा दी जाएगी। उन्हें सुरक्षित जगह ले जाया जाएगा।
कारण
आखिर भाजपाइयों को ही निशाना क्यों बना रहे आतंकी?
कश्मीर में पंचायत चुनाव अक्टूबर 2019 में हुए थे। उसमें यहां की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PPD) और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने मुख्य नेताओं के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से हिरासत में होने के कारण हिस्सा नहीं लिया था।
ऐसे में 1,267 सरपंच और पंचों में से अधिकतर भाजपा के हैं। ऐसे में वह अब वही नेता आम जनता और शासन के बीच की कड़ी का काम कर रहे हैं। इससे वही आतंकियों के निशाने पर हैं।
बयान
कश्मीर घाटी में मुख्य धारा के नाम पर भाजपा ही बची
एक अन्य नेता अल्ताफ के अनुसार अनुछेद 370 हटाए जाने के बाद चीज़ें बदल गई हैं। कश्मीर घाटी में मुख्य धारा के नाम पर सिर्फ भाजपा ही बची है।
वर्तमान में घाटी में भाजपा के लगभग 7.5 लाख कार्यकर्ता हैं। यही भाजपा के लिए नुकसानदायक हो गया।
पहले जो हमले मुख्य धारा के लोगों पर होते थे वो नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, PDP और अन्य पार्टियों में बंट जाते थे। अब भाजपा इकलौती पार्टी है जो जमीन पर दिख रही है।